ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम बदल दिया गया। अब इसकी पहचान अमृत उद्यान के नाम से होगी। इसे हर साल वसंत के मौसम में आम जनता के लिए खोला जाता है। इस बार 31 जनवरी को खोला गया और 26 मार्च तक लोग यहां घूम सकेंगे। हर साल की तरह इस बार भी 5 से 6 लाख लोगों के आने के उम्मीद है।
जनता के लिए पहली बार इसे देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने खुलवाया था। यहां ब्रिटिश और मुगल दोनों के गार्डन की झलक मिलती है। राष्ट्रपति भवन बनाने वाले आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने इसे बनाया था।
गार्डन में फूलों की अलग-अलग प्रजातियों के अलावा करीब 160 वैरायटी के 5 हजार पेड़ हैं। राष्ट्रपति भवन में नक्षत्र गार्डन भी है।
हर पौधे के पास क्यूआर कोड राष्ट्रपति भवन की डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी नविका गुप्ता ने कहा कि इस गार्डन में आने वाले लोगों की सुविधा के लिए कई बदलाव भी किए गए हैं। सभी पौधों के पास क्यूआर कोड लगाया जाएगा। अगर कोई भी इसे स्कैन करेगा तो उसे पौधे से जुड़ी सारी जानकारी मिल जाएगी। इसके साथ ही 20 प्रोफेशनल तैनात किए जाएंगे, जो लोगों को गार्डन के बारे में जानकारियां देंगे।
15 एकड़ में 138 तरह के गुलाब अमृत उद्यान 15 एकड़ में फैला है। गार्डन को राष्ट्रपति भवन की आत्मा माना जाता है। इसमें 138 तरह के गुलाब, 10 हजार से ज्यादा ट्यूलिप और 70 अलग-अलग प्रजातियों के लगभग 5 हजार मौसमी फूलों की प्रजातियां हैं।
डीयू नॉर्थ कैंपस के मुगल गार्डन का नाम भी बदला
■नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डन के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के मुगल गार्डन का नाम बदलकर ‘गौतम बुद्ध शताब्दी’ गार्डन कर दिया गया है। विश्वविद्यालय के अधिकारी ने बताया कि 27 जनवरी को गार्डन का नाम बदल दिया गया। नए नामकरण के पीछे यूनिवर्सिटी ने दिया तर्क दिया है कि इस गार्डन में मुगल डिजाइन नहीं है। अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति भवन के साथ नॉर्थ कैंपस के गार्डन का नाम परिवर्तन एक संयोग था और यह विश्वविद्यालय की अपनी उद्यान समिति के साथ लंबी चर्चा के बाद निर्णय लिया गया।