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ये पीएम मोदी के व्यक्तित्व का ही जादू है कि दुनिया के तमाम बड़े नेता उनके मुरीद नज़र आते हैं। ये अलग बात है कि मौजूदा विश्व परिदृश्य में भारत की ताक़त और दबदबे को नज़रअंदाज करने की कोशिश भी विरले देश ही कर सकते हैं पर सुपरपॉवर मुल्क का भारत के लिए ये रुख़ साफ़ बताता है कि दुनिया आज भारत की तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देख रही है और इसमें मोदी सरकार की मौजूदा विदेश नीति की बहुत अहम भूमिका है।
रूस-यूक्रेन जंग में ‘मोदी की तटस्थ नीति’
रूस-यूक्रेन जंग में तटस्थ भूमिका भी मोदी सरकार की मज़बूत विदेश नीति की परिचायक रही। हमारा भारत, जापान-ऑस्ट्रेलिया और उस अमेरिका के साथ क्वाड का मेंबर देश है जो रूस का कट्टर दुश्मन है और यूक्रेन के साथ खड़ा है फिर भी भारत ने देशहित को ऊपर रखा और अमेरिका के दबाव को झेलते हुए उसके दुश्मन और अपने मित्र देश रूस से रियायती दर पर तेल खरीदकर जनता को राहत दी। रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर पीएम मोदी ने यूक्रेन और रूस के राष्ट्रपतियों के साथ कई बार फोन पर बातचीत की। यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की भी पीएम मोदी की तरफ़ उम्मीद भरी नज़रों से देखते हुए ये इच्छा जताते रहे कि भारत मसले का हल निकालने की कोशिश करे और भारत ने विश्व गुरू की अपनी भूमिका निभाते हुए रूस को ये लगातार बताया भी कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं और शांति के ज़रिए समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए। उन्होंने कहा था कि रूस-यूक्रेन जंग में हार या जीत तो किसी की नहीं होगी पर नुकसान पूरी दुनिया का होगा।
दुनिया को मोदी से उम्मीद
‘ये भारत का दशक नहीं बल्कि भारत की शताब्दी है’, मैकेन्ज़ी के ग्लोबल सीईओ बॉब स्टर्नफेल्स भारत की वैश्विक ताक़त, सशक्त इमेज, आर्थिक विकास की राह और हमारे देश के टैलेंट को देखते हुए ही ये बड़ा बयान दे रहे है।
पीएम मोदी के नेतृत्व में 2021 के आखिरी 3 महीनों में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए हमारा मुल्क दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यहां यह भी उल्लेख करना बनता है कि पीएम मोदी के व्यक्तित्व में दुनिया एक शांति के दूत का भी अवलोकन कर रही है। मौजूदा समय में दुनिया वैसे चेहरों की ओर देख रही है जो वैश्विक शांति हेतु अपना योगदान दे सकते हैं और पीएम नरेंद्र मोदी इन्हीं में से एक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद दुनिया में बढ़ता ही चला जा रहा है। पीएम मोदी अब सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि एक वैश्विक नेता बन चुके हैं। अब विश्व शांति दूत तक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सामने आने लगा है। उल्लेखनीय है कि मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर ने वैश्विक शांति के लिए एक आयोग का गठन किए जाने की बात कही थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इसका हिस्सा बनाए जाने का प्रस्ताव किया था। मैक्सिको के राष्ट्रपति यह मानते हैं कि दुनिया के तमाम बड़े नेताओं में नरेंद्र मोदी ही हैं, जो विश्व में शांति लाने का काम कर सकते हैं। ज्ञात हो कि भारत ने हमेशा से ही दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाया है और ‘वसुधैव कुटुंबकम ् ’ का धर्म निभाया। ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत दो वर्ष के भीतर दुनियाभर के करीब 50 देशों को 23 करोड़ से अधिक कोविड-19 वैक्सीन भेजी गई।
देश ही नहीं दुनिया में एक बड़ा वर्ग उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यों की सराहना कर रहा है जिनमें अनेक राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ग्रेट लीडर बताया था। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने एक लेख में पीएम मोदी को ‘भारत का रिफॉर्मर इन चीफ’ करार दिया था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी ने पीएम मोदी को ग्रेट नेता बता चुके हें। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन व ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने भी मोदी की प्रशंसा की है।
भारत, जापान, अमेरिका और इंडोनेशिया में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत रहे जॉन मैकार्थी ने एक आलेख में कहा है कि मोदी के नेतृत्व में भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है। जॉन मैकार्थी ने लिखा है, ”जब मोदी ने पुतिन से कहा कि अभी युद्ध का दौर नहीं है तो उन्होंने बड़े आराम से रूसी राष्ट्रपति से दूरी बना ली। वैसे भारतीयों के मन में ऐतिहासिक रूप से कुछ मामलों में रूस को लेकर आदर है. इसके साथ ही नेटो के विस्तार को लेकर भी सोच है. समरकंद में मोदी विजयी बनकर निकले। आप उन्हें नापसंद करते हैं तो करिए लेकिन जियोपॉलिटिक्स की समझ के आधार पर कह रहा हूँ कि उन्हें हराना मुश्किल है। मोदी ने समरकंद में शी जिनपिंग को इग्नोर किया तो उन्हें पता था कि उनके वोटर इससे नाराज़ नहीं होंगे और क्वॉड के पार्टनर भी इससे सहमत रहेंगे. भारत की बहुसंख्यक आबादी चीन को पसंद नहीं करती है।”
अब अगर मैकार्थी की बात को आगे बढ़ाएं कि मोदी को हराना मुश्किल है तो गृहमंत्री अमित शाह की यह बात भी सही लगती है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए कोई प्रतिस्पर्धा या चुनौती नहीं है और देश की जनता पूरे दिल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चल रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र की पहल के कारण जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। एक साक्षात्कार में, केंद्रीय मंत्री शाह ने यह भी कहा कि देश के लोग 2024 के चुनावों में भाजपा के प्रमुख विपक्षी दल के बारे में फैसला करेंगे और उन्होंने यह लेबल किसी भी पार्टी को नहीं दिया है।
इसके अलावा जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद भी कहीं न कहीं मोदी की तारीफ करते नजर आते हैं। सईद का कहना है, ‘मोदी सांप्रदायिक व्यक्ति नहीं हैं.’ साथ ही मुफ्ती ने यह भी कहा कि मोदी का कोई विकल्प नहीं है।
आज देश और दुनिया में इसलिए भी मोदी का विकल्प नजर नहीं आ रहा क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने सबका साथ, सबका विकास और सबके विश्वास के अपने मूल मंत्र को घरेलू ही नहीं भारत की विदेश नीति का भी हिस्सा बना दिया है और तुर्किये को भीषण भूकंप की त्रासदी में सर्वप्रथम मदद भेज कर इसे साबित भी कर दिया है। ‘नेबर फर्स्ट’ की पॉलिसी के तहत पड़ोसी देशों को मदद के साथ रिश्तों को और मज़बूत करने का क्रम भी जारी है और पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व में जी20 की अध्यक्षता और इजाफा कर रही है।