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तेल अवीव। भारत और इजरायल के रिश्तों के बारे में पूरी दुनिया जानती है। दोनों देशों के रिश्ते रणनीतिक साझीदारी के अलावा सैन्य सहयोग पर भी आधारित हैं। इसी सहयोग के तहत भारतीय सेना को पिछले दिनों इजरायली हेरॉन ड्रोन हासिल हुए हैं। इन ड्रोन को सेना ने तिब्बत से सटी और चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात भी कर दिया गया है। हेरॉन ड्रोन को ड्रोन टक्नोलॉजी का लीडर माना जाता है। जो ड्रोन भारतीय सेना के पास है, वह हेरॉन 1 का एडवांस्ड वर्जन है। सेना ने इसकी चार यूनिट का ऑर्डर दिया है। इस ड्रोन को विशेषज्ञ अमेरिका के एमक्यू-9बी ड्रोन से कहीं ज्यादा बेहतर करार देते हैं। टेस्ट्स में भी हेरॉन, अमेरिकी ड्रोन से बेहतर साबित हुआ है।
जवाहिरी को मारा
एमक्यू-9बी वही ड्रोन है जिसका प्रयोग अमेरिका ने जुलाई में अल कायदा सरगना अयमान-अल जवाहिरी को मारने के लिए किया था। भारत ने अमेरिका के साथ इन ड्रोन के लिए तीन अरब डॉलर यानी 22,000 करोड़ की डील की है। इस डील के साथ भारत 30 ड्रोन खरीदने वाला है। जो खबरें पिछले दिनों आई थीं, उसके मुताबिक इस ड्रोन की डील अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही नतीजे पर पहुंच सकती है। साल 2021 में रक्षा खरीद परिषद की तरफ से भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए इन ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी गई थी।
हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि इस डील को कैंसिल कर दिया गया है। बाद में कहा गया कि डील कैंसिल नहीं हुई है बल्कि उसे होल्ड पर रखा गया है। एमक्यू ड्रोन जिसे प्रीडेटर ड्रोन भी कहते हैं, उसके आने के बाद भारत, चीन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में सफल हो सकेगा।
कहीं भी उड़ सकता
यह ड्रोन किसी भी स्थिति में कहीं भी उड़ सकता है। इसके पास कमर्शियल एयरस्पेस में उड़ने तक का अधिकार भी है। जमीन से यह 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है। इसकी अधिकतम स्पीड 400 किलोमीटर प्रति घंटा है। अगर इसी फ्यूल स्टोरेज क्षमता की बात करें तो यह 35 घंटे है। इसे इस तरह से हाई-टेक टेक्नोलॉजी के साथ डिजाइन किया गया है कि कोई भी मैकेनिकल और इलेक्ट्रिक फेल्योर इसे प्रभावित नहीं कर सकता है।
इस वजह ये यह लंबे समय तक उड़ सकता है, मध्यम ऊंचाई पर इंटेलीजेंस, सर्विलांस और यहां तक की दुश्मन के अड्डे की रेकी भी कर सकता है।
इसकी वेपन लोड करने की क्षमता की वजह ही इसे यूएस मिलिट्री का फेवरिट बना देती है। अमेरिका ने इसे संघर्ष वाले क्षेत्रों में खासकर मिडिल ईस्ट में खासतौर पर तैनात किया है। टारगेट की लोकेशन का पता लगाने के बाद इसका जीपीएस गाइडेड सिस्टम उसे सेकेंड्स में तबाह कर देता है।
कौन-कौन से हथियार
यह ड्रोन आठ हेलफायर मिसाइल के अलावा, दो साइडविंडर या दो एएमआरएएएम (एमराम) मिसाइल, दो मेवेरिक मिसाइल, दो 227 किलोग्राम वाले स्मार्ट बम कैरी कर सकता है। हथियार लोड होने के बाद इसका कुल वजन 2,177 किलोग्राम तक पहुंच जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक यह ड्रोन पाकिस्तान से सटी एलओसी या चीन से लगी एलएसी की न सिर्फ रेकी या जासूसी कर सकता है बल्कि जरूरत पड़ने पर छोटी सर्जिकल स्ट्राइक भी कर सकता है। अमेरिकी सेना भी इसे इस वजह से ही प्रयोग करती है।
हेरॉन ड्रोन की खूबियां
अब बात करते हैं इजरायल के हेरॉन ड्रोन की जिसे विशेषज्ञ कई तरीकों से अमेरिकी ड्रोन से बेहतर बताते हैं। हेरॉन की रेंज 7,400 किलोमीटर से भी ज्यादा है। लेकिन हेरॉन जमीन से सिर्फ 14 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है। साथ ही अमेरिकी ड्रोन की तुलना में यह बस 30 घंटे से कुछ ज्यादा समय तक ही हवा में रह सकता है। हेरॉन की अधिकतम स्पीड 482 किलोमीटर प्रति घंटा है।