प्रकाश पर्व दीपावली वैसे ही आम लोगों के लिए उल्लास, उत्साह और रोमांच का पर्व माना जाता है। इस अवसर पर लोग आपस में मिठाई और उपहार का आदान प्रदान कर एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियों का इजहार करते हैं पर ब्रिटेन के 42 वर्षीय भारतवंशी ऋषि सुनक के लिए दीपावली का यह त्योहार कुछ खास ही बन गया।
इस दीपावली को ऋषि सुनक को ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य जो हासिल हुआ। ऋषि को मिला दीवाली का यह उपहार खास ही नहीं अलौकिक और नैसर्गिक आनंद देने का पर्याय भी है। ब्रिटेन के महाराज चार्ल्स तृतीय ने ऋषि सुनक को ब्रितानी साम्राज्य के दो सौ वर्ष के इतिहास में अब तक का सबसे कम उम्र का प्रधानमंत्री नियुक्त कर इस वर्ष उनकी दीवाली की खुशियों को कई गुना बढ़ा दिया है।
इसे महज संयोग नहीं कहा जा सकता कि इस दीवाली पर जिस तरह से राजनीतिक परिस्थितियों में उलट फेर हुआ है उससे इतिहास की धारा ही बदल गई है। भारत के संदर्भ में कहें तो कह सकते हैं कि देश की आजादी के 75 साल बाद एक उस देश का मूल वंशज आज ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बन गया जिस देश पर अंग्रेजी साम्राज्य ने दो सौ साल से अधिक समय तक राज किया था। भारत, जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हुआ करता था उसका एक वंशज ऋषि सुनक के रूप में ब्रिटेन का सबसे कम उम्र का प्रधानमंत्री बन गया, ऐसा करिश्मा इस बार की दिवाली में हो गया। ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने के साथ ही काल का यह चक्र पूरा हुआ और ब्रिटिश औपनिवेशिक राज का समय पूरा होने के साथ ही ब्रिटेन में ऋषिराज के एक नए युग की शुरुआत भी हो गई। जिस राज का सूर्य कभी अस्त न होने की बात कही जाती थी, उसी राज का सूर्य एक तरह से अस्त ही हो गया।
याद हो कि आज से करीब पाँच सौ साल पहले 1773 में जॉर्ज मैककार्टने ने घमंडी अंदाज में यह यह कहा था कि ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उनके इसी जुमले पर अमल करते हुए ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंसटन चर्चिल भारत के तत्कालीन नेताओं को अपमानित करने की गरज से यह कहने में भी नहीं चूके थे कि भारत के नेता तिनके की तरह हल्के हैं और उनमें नेतृत्व करने की क्षमता बिल्कुल भी नहीं है । इस दीपावली के मौके पर ब्रिटेन में ऋषि राज की स्थापना होने के साथ ही इस तरह की बेसुरी अटकलबाजियों पर अब हमेशा हमेशा के लिए लगाम लग गई है।