नोएडा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने सही मायनों में शासन का लोकतांत्रिकरण करके इसे अमल योग्य एवं जवाबदेह बना दिया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी के कारण ही भारत साफ्ट पावर से वैश्विक कल्याण के लिए साफ्टवेयर पावर के रूप में परिवर्तित हो गया।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने ग्रेटर नोएडा में यूनेस्को इंडिया अफ्रीका हैकाथॉन 2022 के समापन समारोह में उपरोक्त विचार व्यक्त किए। 36 घंटे के इस हैकाथॉन में भारत सहित 22 अफ्रीकी देशों के 581 छात्रों ने हिस्सा लिया और विभिन्न सामाजिक, तकनीकी और पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान सुझाए। धनखड़ ने कहा कि आज भारत आगे बढ़ रहा है, जैसा कि पहले कभी नहीं था। आज हम दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने तत्परता से प्रभावी, पारदर्शी एवं जवाबदेह लोकसेवा प्रदान करने के लिए सफलतापूर्वक वृहद सार्वजनिक डिजिटल आधारभूत ढांचा सृजित किया है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी दुनिया ने भारत की विनिर्माण क्षमता को देखा जब इसने अपने मित्रों को टीका, दवाएं, उपकरण आदि प्रदान किए।हमारी आत्मनिर्भर रणनीति से हमें टिके रहने और वैश्विक आपूर्ति श्रंखला को बनाए रखने में मदद की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के प्रयास तुच्छ निजी स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए हैं । उन्होंने कहा कि महामारी के बाद भारत ने न केवल प्रभावी ढंग से सुधार दर्ज किया बल्कि निवेश, नवाचार और उद्यमिता के एक बड़े केंद्र के रूप में उभरा।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी ने जीवन के हर क्षेत्र में नवाचार एवं उद्यमिता के नये द्वार खोले हैं तथा शिक्षा मंत्रालय का नवाचार प्रकोष्ठ भविष्योन्मुखी कार्यक्रमों पर काम करने में जुटा हुआ है। यूनेस्को इंडिया-अफ्रीका हैकाथॉन में शिक्षा शीर्षक के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल क्रांति की शक्ति के उपयोग तथा भारत एवं अफ्रीकी देशों को ‘‘सभी के लिए शिक्षा’’ का लक्ष्य हासिल करने के विषय पर मंथन किया गया ।
हैकाथॉन में ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया में बदलाव लाने के लिए टिकाऊ विकास लक्ष्यों के अनुरूप नवोन्मेषी विचारों को अपनाने एवं उनका उपयोग करने पर चर्चा की गई। इसमें हिस्सा लेने वाले देशों के सहभागियों ने पेयजल एवं स्वच्छता के विषय में प्रदूषण कम करने वाले तरीकों और उसकी गुणवत्ता को बेहतर बनाने, हानिकारक रासायनिक पदार्थों एवं वस्तुओं को फेंकना कम करने के लिए रास्ते तलाशने के विचारों का आदान-प्रदान किया। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में सतत खाद्य उत्पादन प्रणाली सुनिश्चित करने एवं उत्पादकता बढ़ाने तथा पर्याप्त साफ-सफाई के जरिए सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने पर भी प्रतिभागियों ने गहन विचार विमर्श किया ।हैकाथॉन का आयोजन नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में किया गया ।
इसमें मेजबान भारत के अलावा 22 देशों ने हिस्सा लिया। इन देशों में बोत्सवाना, कैमरून, इक्वेटोरियल गिनी, एस्वातिनी, इथोपिया, गाम्बिया, घाना, गिनी बिसाउ, लेसोथो, टोगो,मलावी, माली, मॉरिशस, केन्या, सियारालियोन, मोरक्क ो, मोजांबिक, नामिबिया, नाइजर, तंजानिया, उगांडा और जिम्बाव्वे शामिल हैं। समापन एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तथा उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मौजूद रहीं।
भारत को विकसित करने में महिलाएं कर सकती हैं मदद : डॉ. एन कलाइसेल्वी
सीएसआईआर की पहली महिला महानिदेशक डॉ. कलाइसेल्वी ने कहा कि भारत और अफ्रीका उपनिवेशवाद और रंगभेद के खिलाफ सभ्यतागत जुड़ाव और सामूहिक संघर्ष के ऐतिहासिक बंधन दोनों को साझा करते हैं। अफ्रीका के साथ भारत के संबंधों ने महात्मा गांधी से प्रेरणा लेते हुए भारत के विश्व दृष्टिकोण में नैतिक दिक्सूचक के रूप में काम किया है। हम अफ्रीका के अपने मित्रों को हरसंभव नैतिक और भौतिक समर्थन देना जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत ने वैश्विक शांति व सहयोग के लिए एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य का नया मंत्र दिया है।