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यही वजह थी कि यूपी ने निवेश प्रस्तावों में देश के हर राज्य को पीछे छोड़ दिया।
अब जमीन पर उतारने के एजेंडे पर काम
योगी सरकार ने 2018 में जो पहला निवेश समिट किया था उसमें उसे 4.68 लाख करोड़ के प्रस्ताव मिले थे। सरकार का दावा है कि इसमें 4 लाख करोड़ से अधिक प्रस्ताव तीन ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के जरिए अमल में लाए जा चुके हैं। यह निवेश प्रस्तावों का 85 प्रतिशत है। देश के किसी भी राज्य के मुकाबले यह कन्वर्जन दर सबसे अधिक है। इसलिए जीआईएस के समापन के साथ ही योगी ने साफ कर दिया कि मंत्रियों-अफसरों की टीम निवेश प्रस्तावों को मूर्त रूप देने के लिए लगातार काम करेगी। उन्होंने इसका रोडमैप भी सामने रखा।
सेक्टर व क्षेत्र में विविधता भी अहम
जीआईएस की सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि इसने प्रदेश में निवेश के परंपरागत ट्रेंड को तोड़ने हुए सेक्टर व क्षेत्र को लेकर ‘पूर्वाग्रह’ के खांचे को तोड़ दिया। कुल निवेश प्रस्तावों व समझौतों का 42 प्रतिशत हिस्सा बुंदेलखंड व पूर्वांचल के उन क्षेत्रों में आया, जो अब तक औद्योगिक विकास की दौड़ में कहीं खड़े नहीं होते थे। इस संकट को योगी ने पहले ही भांप लिया था इसलिए सेक्टोरियल पॉलिसी तय करते समय भी इन क्षेत्रों की विशेष चिंता की गई थी। रिन्युएबल एनर्जी, फूड प्रॉसेसिंग, ग्रीन एनर्जी, ईवी के साथ ही पर्यटन जैसे क्षेत्रों की ब्रैंडिंग के फोकस ने भी नए क्षेत्रों व नए सेक्टरों के लिए संभावना को आधार प्रदान किया। आर्थिक आयोजनों को बड़े शहरों तक सीमित रखने का ढर्रा भी टूटा। हर जिले में निवेश सम्मेलन के जरिए यूपी के अब तक के सबसे बड़े मेगा शो से सबको जोड़ा गया। विवि परिसरों से लेकर अन्य मंचों तक इससे जुड़े जागरूकता कार्यक्रमों ने भी आर्थिक समझ व संभावनाओं को विस्तार दिया।
आयोजनों की राजनीति ही बदल डाली
जीआईएस के आयोजन ने संवाद की दिशा बदल डाली। इस आयोजन से हर जिला जोड़ा गया पर तो वहां भी चौराहों-बाजारों से लेकर सियासी मंचों का केंद्रीय बिंदु सिर्फ ‘निवेश’ हो गया।
ये है एमओयू का ब्योरा
आकार | संख्या |
---|---|
2000 करोड़ से अधिक | 203 |
1500-2000 करोड़ | 46 |
1000-1500 करोड़ | 56 |
500-1000 करोड़ | 261 |
100-500 करोड़ | 1,023 |
100 करोड़ तक | 17,469 |