दीप्सी द्विवेदी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने एक मामले में फैसला सुनाने में हुए 2 महीने के विलंब के लिए माफी मांगी है। जस्टिस गवई ने न्यायपालिका में देरी के मामले में अनूठा उदाहरण पेश किया। देश की न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी जज ने देरी से फैसला सुनाने पर माफी मांगी है। जस्टिस गवई ने चंडीगढ़ से संबंधित मामले में देरी का कारण भी पक्षकारों को बताया। जस्टिस बीआर गवई और एमएम सुंदरेश चंडीगढ़ शहर में एकल आवासीय इकाइयों को अपार्टमेंट में बदलने के बड़े पैमाने पर चलन के खिलाफ दायर याचिका के एक मामले में फैसला सुना रहे थे।
जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ‘हमें विभिन्न कानूनों के सभी प्रावधानों और उनके तहत घोषित किए गए नियमों पर विचार करना था।’ इसके कारण 3 नवंबर, 2022 को फैसला सुरक्षित रखने के बाद से इसे सुनाने में दो महीने से अधिक का समय लग गया।
जस्टिस गवई ने कहा कि स्थायी विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच उचित संतुलन बनाने की भी जरूरत है। केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को चंडीगढ़ के विकास के चरण एक में एकतरफा रूप से इस तरह की प्रैक्टिस की मंजूरी देने से इसके पर्यावरणीय प्रभाव के साथ ही संबंधित क्षेत्र की विरासत की स्थिति को ध्यान रखने के मद्देनजर जस्टिस गवई ने टिप्पणी की। जस्टिस गवई ने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्य स्तर पर विधायिका, कार्यपालिका और नीति निर्माता अव्यवस्थित विकास के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर ध्यान दें और यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाएं ताकि विकास से पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।