निकहत जरीन ने अपनी उम्र से कहीं ज्यादा का मुक्क ा मारा है। विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली 25 वर्षीय हैदराबादी अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं हैं बल्कि अपने लिए अधिक लक्ष्य भी निर्धारित कर रही हैं। निकहत ने 52 किलोग्राम वर्ग में थाईलैंड की जुटामास जिटपोंग को हराकर खुद को विश्व चैंपियन का ताज पहनाकर इतिहास रचा, उन्होंने 2024 में पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित किया है।
निकहत 15 से 31 मार्च तक दिल्ली में होने वाली विश्व मुक्के बाजी चैंपियनशिप में भारतीय चुनौती की अगुआई करेंगी। पिछले कुछ समय से, निकहत भारत की प्रमुख मुक्के बाज रही हैं। पिछले साल इस्तांबुल में 52 किग्रा वर्ग में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के बाद से उन्होंने देश की अग्रणी मुक्के बाज के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि कर दी है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या देश की सर्वश्रेष्ठ मुक्के बाज होने के नाते उन पर अतिरिक्त दबाव है? तो उनका जवाब था, नहीं बिल्कुल नहीं। इसके विपरीत, मुझे विश्व चैंपियनशिप में भारत की चुनौती का नेतृत्व करने पर गर्व महसूस हो रहा है। मुझे यकीन है कि दर्शकों का समर्थन मेरे प्रदर्शन के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा। मई 2022 में इस्तांबुल में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक की उनकी खोज में निकहत के गौरव का मार्ग कठिन मुकाबलों के साथ प्रशस्त हुआ था। उन्होंने बहुत मेहनत की थी और चैंपियनशिप में जाने के लिए आश्वस्त थीं।
एक सवाल के उत्तर में निकहत बोलीं “मुझे याद है कि मैंने इस इवेंट के लिए बहुत मेहनत की थी क्योंकि मुझे पता था कि मुझे देश के लिए गोल्ड जीतना है। यह ऐसा था जैसे भारत के लिए ताज जीतना मेरी किस्मत में था।
मुझे याद नहीं कि पिछली बार कब मुझे अपने जीतने की संभावनाओं को लेकर इतना आत्मविश्वास महसूस हुआ था। उनके करियर का एक और आकर्षण 2022 में बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में जीता गया स्वर्ण पदक था। यह उनके विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने के कुछ महीने बाद आया था। मेरे लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण भी एक सराहनीय प्रयास था क्योंकि मैंने इससे पहले कभी भी किसी प्रमुख (जैसे राष्ट्रमंडल खेल, एशियाड या ओलंपिक) में पदक नहीं जीता था। मैं अपने पूरे जीवन के लिए इस सोने को संजो कर रखूंगी।
निकहत ने इस बात की भी बहुत सराहना की कि विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके बारे में यह ट्वीट किया था, निकहत भारत का गौरव हैं…वह विश्व स्तर की एथलीट हैं…’ मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती कि पीएम के उन ट्वीट्स का मेरे लिए क्या मतलब था। उनके शब्द मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं।’ हैदराबाद में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी निकहत की सफलता की कहानी यह है कि उनके पिता मोहम्मद जमी अहमद ने उनका पूरा साथ दिया।
मुस्लिम होने के नाते निकहत के शॉर्ट्स और टी शर्ट पहनने का काफी विरोध हुआ था। ऐसे बहुत से लोग थे जो नहीं चाहते थे कि निकहत आउटफिट्स की वजह से बॉक्सर बनें। लेकिन निकहत के पिता दृढ़ रहे और उन्होंने निकहत का पूरा समर्थन किया। उन्हें विश्वास था कि मैं जो कुछ भी अपनाऊंगी, उसमें मैं सफल होऊंगी। पिता के मजबूत समर्थन के बिना मुझे नहीं लगता कि मैं कुछ भी हासिल कर पाती।