नई दिल्ली। भारत सरकार ने टेलीविजन प्रसारण को लेकर अपनी अपलिंकिंग और डॉउनलिंकिग के लिए नई नीति बनाई है,जिसे लेकर मौजूदा सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि नई नीति का अहम पहलू यह भी है कि भारतीय टेलीपोर्ट्स अब विदेशी चैनलों का भी अपलिंक कर सकते हैं और इसके जरिये विदेशी मुद्रा कमाई जा सकती है।
– चैनलों को किराए और पट्टे पर देने की प्रवृत्ति पर रोक के लिए जुर्माना बढ़ा
सबसे अहम पहलू है कि इससे देश में रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। अभी तक देश के ज्यादातर चैनल सिंगापुर से अपलिंक होते हैं। जिसमें अबतक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास रजिस्टर्ड लगभग 897 चैनलों में से मात्र 30 की ही अपलिंकिंग यहां से होती है। प्रसारण चैनलों को लाईसेंस, नवीनीकरण और कंपनी के निदेशकों में बदलाव के कारण आने वाली परेशानी में भी राहत दी गई है। किसी कंपनी या एलएलपी में दो निदेशक-साझेदार हैं, तो आपात स्थिति में एक निदेशक-साझेदार को बदला जा सकता है। इस बदलाव के बाद भी गृह मंत्रालय से आवश्यक सुरक्षा मंजूरी ली जा सकती है। अभी तक गृह मंत्रालय की पूर्व अनुमति जरूरी होती है। चैनलों को किराए और पट्टे पर देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए जुर्माना राशि को बढ़ाया गया है।
सूचना प्रसारण सचिव का मानना है कि चैनलों के प्रसारण से जुड़ी जटिलताओं को खत्म कर कारोबार को सुगम बनाने के प्रयासों के तहत सरकार ने यह कदम उठाया है। अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देश 2011 में आखिरी बार यूपीए सरकार के कार्यकाल में तय हुए थे। अब नए दिशानिर्देश भारत में पंजीकृत कंपनियों तथा एलएलपी को टीवी चैनलों की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग, टेलीपोर्ट्स हब की स्थापना, डिजिटल सेटेलाइट न्यूज गैदरिंग (डीएसएनजी), सेटेलाइट न्यूज गैदरिंग (एसएनजी), इलेक्ट्रानिक न्यूज गैदरिंग (ईएनजी) सिस्टम और देश की समाचार एजेंसियों द्वारा अपलिंकिंग और सीधे प्रसारण की अनुमति हासिल करने की प्रक्रिया को भी आसान बनाया गया है। सूचना और प्रसारण सचिव ने बताया कि चैनलों पर लोकहित के कार्यक्रमों का अनिवार्य प्रसारण दिशानिर्देशों में भी महत्वपूर्ण बदलाव किये गये है। इसके तहत स्पोर्ट्स चैनलों को छोड़ बाकी सभी टीवी चैनलों को लोकहित से जुड़े विषयों पर प्रतिदिन 30 मिनट का कार्यक्रम प्रसारित करना होगा। जो अनिवार्य होगा।
इसमें चैनलों के कार्यक्रम कंटेट, निर्माण, प्रस्तुति और प्रसारण की जिम्मेदारी चैनलों की होगी। इसमें सरकार का हस्तक्षेप नहीं होगा। हलांकि अनिवार्य प्रसारण से जुड़े पहलुओं पर सूचना प्रसारण मंत्रालय चैनलों से चर्चा के बाद अलग से विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा।