ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि चुनावों में धनबल को रोकने के सभी प्रयास हो रहे हैं। आयोग ने बताया कि इसके लिए कई उपायों को अपनाया गया है, जैसे 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों के बाद से चुनाव व्यय निगरानी तंत्र बनाया गया था।
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी खर्च में की जा रही बढ़ोतरी पर गंभीर रूप से चिंतित है। चुनाव संचालन नियम, 1961 के तहत चुनाव खर्च को निर्धारित वैधानिक सीमा के अंदर रखने के लिए और राजनीतिक दलों या नेताओं की ओर से बेहिसाब खर्च पर नियंत्रण रखने के लिए पहले से ही एक मजबूत तंत्र पेश कर चुका है।
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
प्रभाकर देशपांडे द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में यह हलफनामा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें अत्यधिक चुनावी खर्च को रोकने के लिए निर्देश मांगे गए थे। हलफनामे में कहा गया है कि मौजूदा निगरानी तंत्र में व्यय पर्यवेक्षकों, सहायक व्यय पर्यवेक्षकों, वीडियो निगरानी टीम, वीडियो देखने वाली टीम, लेखा टीम, शिकायत निगरानी और कॉलसेंटर, मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति, फ्लाइंग स्क्वाड और स्थैतिक निगरानी दल शामिल हैं।
आयोग ने कोर्ट को बताया कि इसके अलावा खर्च के प्रति संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों, जहां भ्रष्टाचार और अत्यधिक चुनाव खर्च की आशंका अधिक है, को भी चुनाव आयोग ने कड़ी निगरानी के तहत सीमांकित किया है। एकाउंटिंग टीम प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अवलोकन रजिस्टर बनाती है और ऐसे प्रत्येक रजिस्टर के साथ साक्ष्य का एक संबंधित फोल्डर होता है। प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव खर्च के एकमात्र उद्देश्य के लिए एक अलग बैंक खाता खोलने के साथ खुद का रजिस्टर रखना होता है, जिसमें दैनिक खातों को व्यवस्थित रूप से दिया जाता है।
मामले में याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग को उचित दिशा-निर्देश देने की मांग की है, ताकि चुनावों में अतिरिक्त खर्च को रोकने के लिए कार्रवाई की एक व्यापक योजना तैयार की जा सके। इसमें दोषी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई के कड़े और प्रभावी प्रावधान हों। आयोग ने अपने जवाब में मांग को अस्पष्ट और आधा-अधूरा बताते हुए और याचिकाकर्ता की ईमानदारी पर प्रश्न उठाया है। आयोग ने याचिका को खारिज करने का आग्रह किया।
मामले में याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग को उचित दिशा-निर्देश देने की मांग की है, ताकि चुनावों में अतिरिक्त खर्च को रोकने के लिए कार्रवाई की एक व्यापक योजना तैयार की जा सके जिसमें दोषी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई के कड़े और प्रभावी प्रावधान हों। आयोग ने अपने जवाब में मांग को अस्पष्ट और आधा-अधूरा बताते हुए और याचिकाकर्ता की ईमानदारी पर प्रश्न उठाया है। आयोग ने याचिका को खारिज करने का आग्रह किया।