नई दिल्ली। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के लिए एक और मेगा डील में रक्षा मंत्रालय अब फ्रंटलाइन नेवी युद्धपोतों के लिए ऐसी 200 से अधिक मिसाइलों की खरीद को अंतिम रूप दे रहा है। रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) द्वारा मिसाइलों और संबंधित उपकरणों की खरीद के प्रस्ताव पर जल्द ही विचार किया जाएगा। इसे अंतिम मंजूरी के लिए पीएम के नेतृत्व वाली सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी के पास भेजा जाएगा। इस सौदे के 15,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है।
10 फ्रंटलाइन युद्धपोत पहले से ही रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस हैं, जबकि अन्य पांच युद्धपोतों पर इसके वर्टिकल लॉन्च सिस्टम भी स्थापित किए गए हैं। नौसेना ने 5 मार्च को अरब सागर में एक युद्धपोत से डीआरडीओ द्वारा डिजाइन किए गए एक स्वदेशी सीकर और बूस्टर के साथ ब्रह्मोस का परीक्षण किया था। भारत में ब्रह्मोस के अलग-अलग वर्जन को सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों के लिए ही डिप्लॉयड किया है और अब भारत कई देशों के लिए ब्रह्मोस तैयार कर रहा है। फिलीपींस ने पिछले साल भारत से ब्रह्मोस का सौदा किया था जिसमें तीन मिसाइल सिस्टम का सौदा किया गया था और अब फिलीपींस ने उनके ऑपरेशंस की ट्रेनिंग को पूरा कर लिया है। जल्द ही इन मिसाइल सिस्टम की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी और फिर फिलीपींस इन्हें अपनी समुद्री सीमा की रक्षा के लिए चीन के खिलाफ तैनात करेगा। ब्रह्मोस दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है। इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है। भारत लगातार ब्रह्मोस के रेंज के एक्सटेंडेड वर्जन पर काम कर रहा है और अब इसकी रेंज 400 से 500 किलोमीटर के बीच है। फिलीपींस के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल में कई और देशों ने भी रुचि दिखाई है जिसमें इंडोनेशिया, थाइलैंड सहित कई देश हैं। ब्रह्मोस के तीनों वर्जन जमीन से मार करने , समंदर से और हवा से दागे जाने वाले मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों में शामिल किया जा चुका है।