नई दिल्ली। वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद को देख कर चीन के सुर भी बदलने लगे हैं। इसका गवाह है चीनी विदेश मंत्री वांग यी का यह बयान कि चीन संबंधों की स्थिरता और मजबूत विकास के माध्यम से भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है। गत 25 दिसंबर को वांग ने उपरोक्त कथन के अलावा यह भी कहा था कि दोनों देश सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
वांग ने की विदेश मंत्री जयशंकर की तारीफ
वैसे चीन भारत के खिलाफ चाहे जो खिचड़ी पकाए पर फिलहाल भारत के प्रति बदला हुआ रुख दर्शा रहा है। हालिया खटास को देखते हुए वांग का ये तारीफ करना कि विदेश मंत्री जयशंकर ने वैश्विक पटल पर मजबूती और असरदार तरीके से भारत की बात रखी है, चौंकाने वाला है। जयशंकर ने यूरोप के दबदबे को नकारते हुए कहा था कि चीन और भारत अपने संबंधों को दुरुस्त करने में सक्षम हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या चीन का यह बयान भरोसा करने लायक है? ऐसे बयान सकारात्मक होते हुए भी कई आशंकाएं उत्पन्न करते हैं। आशंकाएं इसलिए कि चीन जितना मीठा बाहर से दिखता है, भीतर से उतना ही कड़वा है। इसके अनेक उदाहरण मौजूद हैं।
नेहरू के काल से ही चीन ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का राग आलापता रहा और 1962 में भारत पर हमला भी कर दिया। वह सीमा पर शांति की तमाम बैठकों में भाग लेता है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर घुसपैठ के प्रयास कर तनाव भी बनाए रखता है। आतंकवाद के मुद्दे पर भी वह हमेशा पाकिस्तान के साथ नजर आता है और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता में सबसे बड़ा रोड़ा है। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर विवाद शुरू हुआ था। उसी साल गलवान की हिंसा ने रिश्तों को और बिगाड़ा। अब चीन एलएसी के दूसरे हिस्सों में तनाव पैदा कर रहा है। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को चेतावनी दी थी कि एलएसी पर एकतरफा बदलाव बर्दाश्त नहीं करेंगे।
वैश्विक बिरादरी में अलग-थलग पड़ता जा रहा चीन
इधर चीन से संबंधों में तनाव के बीच अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से भारत के संबंध और मजबूत हुए। ताइवान पर चीन के आक्रामक रुख ने भी इन देशों को भारत का समर्थक बनाया। जी20 की मेजबानी ने भी भारत का कद वैश्विक मंच पर बढ़ाया है।
अमेरिका संग युद्धाभ्यास से खिसियाया है चीन
कहते हैं कि हाल ही में उत्तराखंड के औली में एलएसी के करीब भारत और अमेरिकी सैनिकों के युद्धाभ्यास पर भी चीन को खासी आपत्ति थी। तवांग में यही खिसियाहट उसने निकाली। सीमा पर भारतीय निर्माण भी उसे रास नहीं आ रहा।
ड्रैगन के बोल : आगे बढ़ना बंद नहीं करेगा चीन
कोरोना वायरस की वजह से चीन पूरी दुनिया की नजरों में है। चीन ने कहा कि दूसरों की ओर से उंगलियां उठाए जाने के बाद भी आगे बढ़ना बंद नहीं करेगा। वह खुद को सुपर पावर के रूप में स्थापित करना चाहता है। ऐसे में भारत-चीन संबंध कैसे प्रगाढ़ होंगे?
हालांकि चीन को शायद अहसास हो गया है कि भारत हर धमकी का मुंहतोड़ जवाब देगा, इसीलिए आजकल उसके नेता बार-बार सहयोग पर जोर दे रहे हैं। चीन की फितरत से भारत भी वाकिफ है इसलिए उसे चीन के किसी भी ऐसे बयानों पर आसानी से भरोसा नहीं करना चाहिए। इस बीच दानों देशों में तनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेघालय से पड़ोसी देश को यह संदेश दे चुके हैं कि बॉर्डर पर जो निर्माण कार्य चल रहा है, वह रुकने वाला नहीं।
मोदी ने कहा कि आज डंके की चोट पर बॉर्डर पर नई सड़कें, नए पुल, नई रेल लाइन और एयर स्टि्रप का काम तेजी से चल रहा है। अरुणाचल के साथ ही लद्दाख के सीमावर्ती व अग्रिम इलाकों में चीन को ध्यान में रखते हुए भारत की ओर से पिछले 2 साल के भीतर व्यापक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है।
चीन को चेतावनी
एलएसी पर एकतरफा बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। – जयशंकर