ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन को लेकर कोई सहमति या फ्रेमवर्क नहीं होने के कारण, यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भारत अपनी जी20 अध्यक्षता का लाभ उठाकर इस दिशा में मार्ग प्रशस्त कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ का मानना है कि भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 के पास तीन अहम विषयों पर उल्लेखनीय प्रगति हासिल करने का बेहतरीन मौका है। इन अहम विषयों में शामिल हैं ऋण में राहत, क्रिप्टोकरेंसी का विनियमन और क्लाइमेट फाइनेंस। वर्ष 2022 में कई प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के धराशायी होने से उपभोक्ताओं और निवेशकों की सुरक्षा के साथ-साथ वित्तीय बाजारों का भरोसा बरकरार रखने के लिए क्रिप्टोकरेंसी विनियमन की अहमियत और इसकी आवश्यकता पर बल दिए जाने की आवश्यकता है।
जी20 का लाभ उठाना
भारत अपनी जी20 अध्यक्षता के फाइनेंस ट्रैक के हिस्से के तौर पर पूरे देश में 40 मीटिंग आयोजित करेगा। इन मीटिंगों का उद्देश्य वैश्विक आर्थिक चर्चाओं में अहम योगदान देना होगा और इनमें विभिन्न वर्किंग ग्रुप को शामिल किया जाएगा, साथ ही इसके अंतर्गत चार मंत्री स्तरीय बैठकें भी आयोजित की जाएंगी। फाइनेंस ट्रैक के फोकस एरिया में क्रिप्टो एसेट्स को विनियमित करना, ऋण से जुड़ी कमजोरियों का प्रबंधन करना और वैश्विक वित्तीय संस्थानों की दिशा एवं उनके लक्ष्यों को बदलना शामिल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास बेंगलुरु में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की पहली मीटिंग के साथ, भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान समग्र फाइनेंस ट्रैक की अगुवाई की जाएगी।
गिरावट से मिली सीख
क्रिप्टोकरेंसी को विकेंद्रीकृत करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसका मतलब है कि एक सेंट्रल अथॉरिटी उन्हें नियंत्रित नहीं करती है। क्रिप्टोकरेंसी की स्वतंत्र प्रकृति पारंपरिक वित्तीय संस्थानों के लिए एक विकल्प उपलब्ध कराती है, जो आमतौर पर बैंकों और एनबीएफसी द्वारा केंद्रीकृत और नियंत्रित होती है। हालांकि, विकेंद्रीकरण के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री तेजी के साथ केंद्रीकृत हो गई है। कई प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, जैसे कि एफटीएक्स, बाइनेंस और कॉइनबेस केंद्रीकृत हैं और मार्केट के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करते हैं।
केंद्रीकरण की बात क्यों सामने आई
इसके कई कारण हैं। एक कारण यह है कि आमतौर पर विकेंद्रीकृत संस्थाओं की तुलना में केंद्रीकृत संस्थाओं के बारे में जानकारी एकत्र करना और उन्हें नियंत्रित करना आसान होता है। देखा जाए तो केंद्रीकृत एक्सचेंज विकेंद्रीकृत एक्सचेंजों की तुलना में मार्जिन ट्रेडिंग और फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट्स जैसी सुविधाओं और सेवाओं की एक विस्तृत रेंज की पेशकश कर सकते हैं और लेन-देन को अधिक तेजी व कुशलता से संचालित कर सकते हैं। दूसरी ओर, विकेंद्रीकृत एक्सचेंज में लेन-देन की लागत अधिक होती है, साथ ही ये धीमे होते हैं और इनका उपयोग करना भी जटिल होता है।
एक और कारण
विकेंद्रीकृत एक्सचेंजों की तुलना में केंद्रीकृत एक्सचेंज अपने प्लेटफार्मों को अधिक प्रभावी ढंग से मोनेटाइज करने में सक्षम हैं। कई केंद्रीकृत एक्सचेंजों ने वेंचर कैपिटल इन्वेस्टमेंट को आकर्षित किया है, जिसने उन्हें बढ़ने और विस्तार करने में सक्षम बनाया है। इसके विपरीत, विकेंद्रीकृत एक्सचेंजों ने अपने प्लेटफॉर्म को मोनेटाइज करने के लिए संघर्ष किया है, जिससे उनकी ग्रोथ सीमित हो गई है।
विवाद और विफलताएं
शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसी को पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों के विकेंद्रीकृत और भरोसेमंद विकल्प के रुप में देखा गया था, लेकिन एफटीएक्स, माउंट गोक्स और वन काॅयन जैसे विभिन्न विवादों और विफलताओं ने क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री को बुरी तरह से प्रभावित किया है। ये घटनाएं सत्यम, लीमन ब्रदर्स और साउथ सी कंपनी जैसे पिछले बड़े वित्तीय और एकाउंटिंग संकटों की तरह हैं, जो न केवल लालच से प्रेरित थे, बल्कि किसी भी सूरत में तेजी से मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति का नतीजा थे।
झूठी मार्केटिंग
इन घोटालों में अक्सर बैलेंस शीट को बढ़ाना, शेयरों या टोकन के मूल्य में हेराफेरी करना और निवेशकों को धोखा देने के लिए झूठी मार्केटिंग का उपयोग करना शामिल होता है।