ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जब तक हम कृषि क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों को दूर नहीं कर लेते, सम्पूर्ण विकास का लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता।’ पीएम मोदी बजट उपरांत ‘कृषि और सहकारिता’ विषय पर दूसरे वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले 8-9 वर्षों की तरह इस बार भी बजट में कृषि को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। पिछले कुछ वर्षों से बजट के अगले दिन के अखबारों को देखेंगे तो आप पाएंगे कि हर बजट को गांव, गरीब और किसान का बजट कहा गया है।
पीएम ने याद दिलाया कि 2014 में हमारे आने से पहले कृषि बजट 25 हजार करोड़ रुपए से भी कम था। आज देश का कृषि बजट बढ़कर 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो गया है। आजादी के बाद लंबे समय तक हमारा कृषि क्षेत्र अभाव के दबाव में रहा।
कृषि निर्यात में भी सक्षम : पीएम मोदी ने कहा, हम अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए दुनिया पर निर्भर थे लेकिन हमारे किसानों ने हमें न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया बल्कि आज उनकी वजह से हम निर्यात करने में भी सक्षम हो गए हैं। आज भारत कई तरह के कृषि उत्पादों को निर्यात कर रहा है।
‘बाजारों तक पहुंच आसान : उन्होंने बताया कि हमने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक किसानों की पहुंच को आसान बनाया है, लेकिन हमें ये भी ध्यान रखना है कि बात चाहे आत्मनिर्भरता की हो या निर्यात की, हमारा लक्ष्य सिर्फ चावल, गेहूं तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। उदाहरण के लिए 2021-22 में दलहन के आयात पर 17 हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़े, वैल्यू एडेड फूड प्रोडक्ट्स के आयात पर 25 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए। 2021-22 में खाद्य तेलों के आयात पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए खर्च हुए। सिर्फ इतनी ही चीजों के आयात पर करीब 2 लाख करोड़ रुपए खर्च हो गए। मतलब इतना पैसा देश के बाहर चला गया।
बात आत्मनिर्भरता की : पीएम ने जोर देते हुए कहा, ये पैसा हमारे किसानों के पास पहुंच सकता है, अगर हम इन कृषि उत्पादों के क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भर बन जाएं। पीएम मोदी ने कहा, पिछले कुछ वर्षों से लगातार बजट में इन सेक्टर्स को आगे बढ़ाने वाले फैसले किए जा रहे हैं।
समर्थन मूल्य बढ़ाया : पीएम मोदी ने कहा, हमने एमएसपी में बढ़ोतरी की, दलहन उत्पादन को बढ़ावा दिया, फूड प्रोसेसिंग करने वाले फूड पार्कों की संख्या बढ़ाई गई, साथ ही खाद्य तेल के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के लिए मिशन मोड में काम चल रहा है।
निजी निवेश की इस क्षेत्र से दूरी : पीएम ने कहा, आज भारत के कई सेक्टर्स तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हमारे ऊर्जावान युवा बढ़-चढ़कर उसमें हिस्सा भी ले रहे हैं लेकिन एग्रीकल्चर में उनकी भागीदारी कम है, जबकि वो भी इसके महत्व और इसमें आगे बढ़ने की संभावनाओं के बारे में जानते हैं। प्राइवेट इनोवेशन और इंवेस्टमेंट इस सेक्टर से दूरी बनाए हुए हैं। इस खाली जगह को भरने के लिए इस साल के बजट में कई तरह के एलान किए गए हैं। उदाहरण के लिए एग्रीकल्चर के सेक्टर में ओपन सोर्स बेस्ड प्लेटफॉर्म को बढ़ावा।
‘यूपीआई के ओपन प्लेटफॉर्म के जरिए डिजिटल लेनदेन हो रहा है’ : उन्होंने कहा, हमने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म की तरह सामने रखा है। ये बिल्कुल उसी तरह है जैसे यूपीआई ओपन प्लेटफॉर्म है, जिसके जरिए आज डिजिटल ट्रांजेक्शन हो रहा है। आज जैसे डिजिटल ट्रांजेक्शन में क्रांति हो रही है, उसी तरह एग्रीटेक डोमेन में भी इंवेस्टमेंट और इनोवेशन की अपार संभावनाएं बन रही है। इसमें संभावना है लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाने की, इसमें अवसर है बड़े बाजार तक पहुंच को आसान बनाने के, इसमें मौका है टेक्नोलॉजी के जरिए ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा देने का। साथ ही सही सलाह सही व्यक्ति तक समय से पहुंचाने की दिशा में हमारे युवा काम कर सकते हैं।
युवा बन सकते सूचना सेतु : पीएम मोदी ने कहा, जिस तरह से मेडिकल सेक्टर में लैब काम करती हैं, उसी तरह निजी सॉयल टेस्टिंग लैब्स स्थापित किए जा सकते हैं। हमारे युवा अपने इनोवेशन से सरकार और किसान के बीच सूचना के सेतु बन सकते हैं, वो ये बता सकते हैं कि कौन सी फसल ज्यादा मुनाफा दे सकती हैं।
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