ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई )ने देश में प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को गति प्रदान करने के लिए सभी तकनीकी विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों से डिग्री पाठ्यक्रम में अध्ययनरत छात्रों के लिए प्रत्येक वर्ष कम से कम 5 निरक्षरों को साक्षर बनाने का कार्य शामिल करने को कहा है। ऐसे स्वयंसेवक छात्रों को ‘क्रेडिट’ प्रदान किया जा सकता है।
एआईसीटीई ने सभी तकनीकी संस्थानों के कुलपतियों एवं परिषद से संबद्ध संस्थानों के प्राचार्यों के लिए जारी परिपत्र में कहा है कि उच्च शिक्षण संस्थान छात्रों की इन गतिविधियों के लिए कुछ ‘क्रेडिट’ तय कर सकते हैं। छात्रों को यह क्रेडिट तब प्रदान किया जाएगा जब उनके द्वारा पढ़ाए गए लोगों को ‘साक्षरता’ प्रमाणपत्र प्राप्त हो जाएगा। ऐसे स्वयंसेवकों को विश्वविद्यालय या राज्य सरकार द्वारा प्रमाणपत्र जारी करने का प्रावधान किया जा सकता है ताकि छात्रों को इस कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसमें कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा प्रौढ़ शिक्षा की नई योजना ‘नव भारत साक्षरता अभियान’ के दिशानिर्देश के तहत गतिविधियों के लिए छात्रों को प्रशिक्षित किया जा सकता है। एआईसीटीई ने कहा, परिषद से मान्यता प्राप्त सभी संस्थानों एवं तकनीकी विश्वविद्यालयों से आग्रह किया गया है कि देश में शत प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को हासिल करने में योगदान देने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों की क्षमता और संसाधनों का उपयोग करें।
शत प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य
सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा के सभी पहलुओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं वर्ष 2021-22 की बजटीय घोषणाओं से जोड़ते हुए फरवरी 2022 में ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ नामक एक नई योजना को मंजूरी प्रदान की थी। इसमें साक्षरता के शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा के नाम से चल रही योजना को विस्तार दिया है। इसमें अब 15 साल की उम्र के ऊपर के सभी लोगों को शिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम के पांच आयाम हैं जिनमें बुनियादी अंक ज्ञान, साक्षरता के साथ ही महत्वपूर्ण जीवन कौशल से जुड़ा ज्ञान दिया जाना शामिल है।