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Home ब्लिट्ज इंडिया मीडिया

इस्लामी देशों में बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी

Blitzindiamedia by Blitzindiamedia
December 3, 2022
in ब्लिट्ज इंडिया मीडिया, महिला हिंसा
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इस्लामी देशों में बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी
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ब्लिट्ज ब्यूरो

ईरान के स्पष्ट आदेशों के बावजूद इस्लामी देशों ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कुछ नहीं किया है। गैरत के नाम पर ऑनर किलिंग, रेप, हिंसा और महिलाओं का शोषण मुस्लिम समाज में आम बात है।

इस्लाम की अच्छाइयां
1. इस्लाम में जन्म के समय या जन्म के तुरंत बाद लड़कियों को मारने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया है।
2. इस्लाम लड़कियों और अनाथों के साथ अच्छे व्यवहार पर विशेष ध्यान देता है।
3. इस्लाम गुलामी को हतोत्साहित करता है लेकिन मुस्लिम समाज में महिलाओं के साथ अभी भी गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है। पाकिस्तान की मुख्तार माई और अफगानिस्तान की शरबत गुल्ला मुस्लिम समाज में महिलाओं की दुर्दशा के जीवंत उदाहरण हैं।
4. तुर्की पिछले साल इस्तांबुल कन्वेंशन से हट गया, जो महिलाओं के अधिकारों के लिए एक झटका है।

पश्चिमी देशों में तो महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा के विरोध में लोग घरों से बाहर निकल आए हैं। मुस्लिम देशों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को गंभीर मुद्दा नहीं माना जाता है। अफगानिस्तान की शर्बत गिला मुस्लिम समाज में महिलाओं की दुर्दशा का एक और उदाहरण है। सीरिया और इराक में आईएसआईएस के उदय के बाद, गृहयुद्ध के दौरान मुस्लिम महिलाएं हिंसा की सबसे बुरी शिकार बनीं। उनकी हत्या की गई, उनके साथ दुष्कर्म किया गया, उनका अपहरण किया गया, उन्हें गुलाम बनाया गया और वस्तुओं के रूप में बेचा गया। तालिबान शासन के तहत, अफगानिस्तान में महिलाएं कैदी बन गई हैं जो सामाजिक स्वतंत्रता से वंचित हैं और काम करने या अध्ययन करने या खेलों में भाग लेने के लिए बाहर नहीं जा सकती हैं क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान ने नकाब न पहनने पर एक महिला को गोली मार दी थी। ईरान इसका ताजा उदाहरण है। हिजाब के विरोध में ईरान में कई दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ज्ञात हो कि ईरान में इस साल सितंबर में 22 साल की लड़की महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। महिलाएं हिजाब उतार कर सड़कों पर उतर रही हैं। अपने बाल काट रही हैं।

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सचाई यह है कि कुरआन में गुलाम महिलाओं और पुरुषों को मुक्त करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए एक सामाजिक तंत्र की व्यवस्था है। कुरआन यह भी कहता है कि अगर किसी महिला को अपने पति से हिंसा का डर है, तो वह उसके साथ किसी तरह का शांति समझौता कर सकती है। कुरान यह भी कहता है कि पति और पत्नी एक दूसरे का लिबास हैं।

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