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नई दिल्ली। भारत ने परमाणु क्षमता से लैस सबमरीन आईएनएस अरिहंत से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम सबमरीन बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) का टेस्ट कर दुनिया को बड़ा संदेश दिया है। शुरू से भारत इस रणनीति पर चलता आया है कि हम पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे और अगर दुश्मन देश ने हरकत की तो फिर छोड़ेंगे भी नहीं। महत्वपूर्ण बात यह है कि रक्षा मंत्रालय ने बंगाल की खाड़ी में बैलिस्टिक मिसाइल के सफल टेस्ट की औपचारिक घोषणा की है। हथियार प्रणाली ने सभी ऑपरेशनल और तकनीकी मानकों को पूरा किया। हालांकि मंत्रालय ने सबमरीन से दागी जाने वाली एसएलबीएम का खुलासा नहीं किया, जिसे 6,000 टन वजनी आईएनएस अरिहंत से दागा गया था। भारत की यह पनडुब्बी 2018 से पूरी तरह ऑपरेशनल है। भारतीय एसएलबीएम समंदर के नीचे से ही चीन और पाकिस्तान को टारगेट कर सकती है। इससे एक बात और साफ हो गई है कि स्वदेशी आईएनएस अरिहंत क्लास की सबमरीन हर पहलू पर काम करना शुरू कर चुकी है। यह दुश्मन के लिए बड़ी चेतावनी भी है।
700 किमी से ज्यादा दूरी तक का टेस्ट
सूत्रों ने बताया कि जिस एसएलबीएम का टेस्ट किया गया वह बीओ-5 या के-15 मिसाइल थी जिसकी मारक क्षमता 750 किमी तक दुश्मन को टारगेट करने की है। एक सूत्र ने कहा कि आईएनएस अरिहंत कम दूरी की के-15 मिसाइलों से लैस है। 3,500 किमी की दूरी तक मार करने वाली के-4 एसएलबीएम का विकास परीक्षण पूरा हो चुका है लेकिन इसे पूर्ण रूप से शामिल किया जाना बाकी है। अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस और चीन के बाद भारत दुनिया का छठवां देश है जिसके पास बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर सबमरीन है।
लगाया सटीक निशाना
यह टेस्ट ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी बरकरार है और दोनों देशों ने 50,000 से ज्यादा सैनिकों की तैनाती कर रखी है। बड़े हथियार भी मोर्चे पर लगाए गए हैं। दोनों देशों के बीच 30 महीने से सैन्य गतिरोध बना हुआ है।
माना जा रहा है कि दूसरी ऐसी सबमरीन आईएनएस अरिघात कुछ देरी के साथ अगले साल पूरी तरह से ऑपरेशनल हो सकती है। अमेरिका, रूस और चीन के पास 5,000 किमी से ज्यादा दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें हैं। ऐसे में ज्यादा पावरफुल एसएसबीएन होने से विश्वसनीयता और भारत की ताकत बढ़ेगी।
खास बात ये है कि पिछले 13 सालों में भारत की तरफ से पहली बार इस न्यूक्लियर सबमरीन से लॉन्च की गई किसी मिसाइल के बारे में जानकारी दी गई है। साल 2009 में लॉन्च की गई इस स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के बारे में भारत ने हमेशा से खास गोपनीयता बरती है। लॉन्च के वक्त इस पनडुब्बी की एक तस्वीर आधिकारिक तौर से साझा की गई थी। लेकिन उसके बाद से कोई भी आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई थी।
दूसरी परमाणु पनडुब्बी पर हो रहा काम
भारत के पास के-15 और के-4 एसएलबीएम मिसाइलें हैं जिनकी रेंज 750 और 3500 किलोमीटर है जिन्हें अरिहंत से दागा जा सकता है। इस के-मिसाइल को पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल-मैन, एपीजी अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है। ऐसा अनुमान है कि इस टेस्ट की कोई तस्वीर या फिर वीडियोज जल्द ही जारी किया जाएगा। अरहिंत के अलावा भारत अब एक दूसरी परमाणु पनडुब्बी (एसएसबीएन),अरिघात पर भी काम कर रहा है, जिसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है।
टेस्ट था यूज़र-ट्रायल
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह टेस्ट यूज़र-ट्रायल था यानि पनडुब्बी को इस्तेमाल करने वाली फोर्स ने इसका परीक्षण किया है। भारत के सभी परमाणु हथियार स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) की कमान में हैं जो सीधे पीएमओ अधीन है।
भारत की न्यूक्लियर ट्राइड हो चुकी है पूरी
गौरतलब है कि भारत की न्यूक्लियर-ट्राइड यानि परमाणु-त्रिशक्ति पूरी हो चुकी है। भारत जल (समंदर के नीचे से), थल और आकाश तीनों से परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। भारत के पास आईएनएस अरिहंत पनडुब्बी है तो जमीन से लॉन्च की जाने वाली इंटर-कोन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि भी है और सुखोई फाइटर जेट से दागे जानी वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस भी है। दुनिया के चुनिंदा देश ही हैं जिनकी न्यूक्लियर ट्राइड पूरी हो चुकी है। भारत उनमें से एक है। अभी तक चीन, अमेरिका और रूस सरीखे देश ही हैं जो इस श्रेणी में शामिल हैं।
आईएनएस अरिहंत की खासियत
भारतीय नौसेना के लिए एटमी हथियारों से लैस आईएनएस अरिहंत सामरिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण है। यह समुद्र के किसी भी कोने से दुश्मन देश के किसी भी शहर पर हमला कर सकती है। इसके जरिए समुद्र, जमीन और हवा से परमाणु हमला किया जा सकता है। यह दुश्मन को चकमा दे सकती है, यानी इसकी मौजूदगी का आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता। यह परमाणु ऊर्जा से चलती है। इसमें और भी खूबियां हैं, ऐसे में यह लंबे समय तक गहरे पानी में रह सकती है। आईएनएस अरिहंत में 750 और 3500 किमी क्षमता वाली मिसाइलें हैं। इस मामले में भारत से आगे अमेरिका, रूस और चीन है, जिनके पास 5000 किमी से ज्यादा दूर तक मार करने वाली मिसाइलें हैं।
विशेष
पाकिस्तान और चीन ने बड़े पैमाने पर न्यूक्लियर वेपन्स तैनात करने की पॉलिसी अपना रखी है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन अपनी न्यूक्लियर सबमरीन्स की तैनाती बढ़ा रहा है। भारत की सुरक्षा के लिए यह चिंता का विषय है। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरिहंत को भारतीय नौसेना में शामिल किया। इसके बाद से भारत तीनों सीमाओं जल, थल और वायु में परमाणु शक्ति संपन्न हो गया। अब भारत के पास तीनों जगहों से परमाणु हथियारों को फायर करने की क्षमता है।•