ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। कॉप-27 सम्मेलन में भारत की तरफ से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में भारत ने हरित ऊर्जा की वकालत की। यादव ने कहा कि हरित क्रांति एक सुखद अहसास है क्योंकि मानव सभ्यता इस वक्त बड़े संकट में है। हरित ऊर्जा व हरित क्रांति ही इसे समाधान की तरफ आगे ले जाएगी।
कॉप-27 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि युद्ध की तुलना में जलवायु परिवर्तन तीन गुना अधिक विनाशकारी है। लोग जलवायु आपदाओं से ज्यादा विस्थापित होते हैं। आज आधी मानवता खतरे में है।
उन्होंने कहा कि इस धरती को बचाने का वक्त यही है, अगर अब भी नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी को नरक की आग में धकेलने के लिए हम तैयार रहें। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया को ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से तबाही की तरफ ले जाने वाले देशों में चीन सबसे ऊपर है। चीन 15 गीगा टन ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन के साथ अकेले भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ के 27 देशों से ज्यादा उत्सर्जन करता है। अमेरिका दूसरे स्थान पर जबकि भारत इस मामले में तीसरे स्थान पर है।
कॉप-27 सम्मेलन में भारत की तरफ से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने हिस्सा लिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने गोलमेज बैठक में संयुक्त राष्ट्र की ‘सभी कार्यकारी कार्य योजना के लिए प्रारंभिक चेतावनी’ का भी समर्थन किया। यह भी कहा कि पिछले 15 वर्षों में चक्रवाती तूफानों से मृत्यु दर में 90 प्रतिशत तक की कमी आई है।
जलवायु परिवर्तन पर एंटोनियो गुटेरेस की चेतावनी
मिस्र के शर्म-अल-शेख में आयोजित कॉप-27 सम्मेलन का प्रमुख मुद्दा जलवायु परिवर्तन था। बैठक में यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी कि इस ग्रह को बचाने का आखिरी मौका हमारे पास है। जलवायु परिर्तन युद्ध से तीन गुना ज्यादा प्रभावित करता है। उन्होंने धरती पर तेजी से बढ़ते हुए और खतरनाक मौसम के बारे में भी चेतावनी दी।
विकासशील देशों को 1 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत
सम्मेलन में एक रिपोर्ट भी पेश की गई जिससे पता लगा है कि विकासशील देशों को जलवायु कार्रवाई के लिए दशक के अंत तक लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी।
भविष्य के लिए मिशन तय
संयुक्त राष्ट्र की बैठक में कुछ लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं जिसमें 2030 तक सीओ2 उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कटौती करने की आवश्यकता बताई गई। साथ ही इस सदी के अंत तक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का संकल्प लिया गया है।
यूएनएफसीसीसी कॉप क्या है?
कॉप का पूरा नाम ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज’ है। आसान भाषा में कहें तो यह यूएनएफसीसीसी यानी ‘संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क’ में शामिल सदस्यों का एक सम्मेलन है। भारत भी इसका सदस्य है। कॉप का पहला सम्मेलन मार्च, 1995 में बर्लिन में आयोजित हुआ था, इसके बाद से यह लगातार जारी है।