ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में उस प्रस्ताव पर वोटिंग से परहेज किया जिसमें गाजा पट्टी क्षेत्र में तत्काल सीजफायर की मांग की गई थी। भारत ने आतंकवाद पर करारे प्रहार करते हुए अपने इस निर्णय को सही बताया है। यूएन में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा, ‘ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसक वारदातों पर गहराई से चिंतित होना चाहिए। 7 अक्टूबर को इस्राइल में आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे।
आतंकवाद घातक है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती। उन्होंने विश्व नेताओं से आह्वान किया कि आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाएं। भारत की हमेशा यही नीति रही है।
संयुक्त राष्ट्र में हालांकि प्रस्ताव के पक्ष में दो तिहाई बहुमत मिलने की वजह से इसे पारित किया गया। प्रस्ताव में गाजा में इस्राइली सैन्य बलों और हमास चरमपंथियों के बीच टकराव पर तत्काल विराम लगाने के साथ ही मानवीय आधार पर आम लोगों के लिए निरन्तर, पर्याप्त मात्रा में बिना किसी अवरोध के जीवनरक्षक सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की थी। जॉर्डन के इस प्रस्ताव को बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका सहित 40 से अधिक देशों द्वारा समर्थन दिया था। इसके पक्ष में 120 वोट, विपक्ष में 14 वोट और अनुपस्थितों की संख्या 45 रही जिनमें भारत भी था।
हमास के हमले का नहीं था जिक्र, इसीलिए भारत ने बनाई दूरी
नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी तथा मानवीय दायित्वों को कायम रखने वाले प्रस्ताव में हमास के हमले का जिक्र नहीं था इसी कारण भारत ने इससे दूरी बनाई। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन, यूके भी भारत के साथ मतदान में हिस्सा नहीं लेने वाले देशों में रहे।
तल्खी के बावजूद कनाडा के प्रस्ताव का समर्थन
भारत ने कनाडा से मौजूदा तल्खी के बावजूद उसकी ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तावित उस संशोधन का समर्थन किया, जिसमें इस्राइल पर हमास के हमले को आतंकवादी हमला बताया गया था।
और इसे कतई स्वीकार नहीं करने की बात कही गई। साथ ही हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की तत्काल रिहाई की मांग की गई।