विनोद शील
नई दिल्ली। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना 2047 तक कैसे पूरा होगा, इस अहम प्रश्न को लेकर विचार-विमर्श के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 27 जुलाई को नीति आयोग की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए नीति आयोग ने उन सारे उपायों और फार्मूलों का विवरण पटल पर रखा, जिन पर वह काम कर रहा है।
बीते वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने आजादी की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया था। यहां यह उल्लेख करना भी समीचीन होगा कि 2047 आने में अब महज 23 साल बचे हैं और 23 साल में भारत को मध्यम आय से उच्च आय वाला देश बनाना आसान काम नहीं है।
वर्किंग वूमन की होगी अहम भूमिका, संघवाद पर जोर
बीते 70 साल में केवल 12 देश ही मध्य आय से ऊंची इनकम वाले विकसित देश बन पाए हैं। इसलिए पीएम मोदी का ध्यान अब भारत को विकसित राष्ट्र बनाने पर ही केंद्रित है। पीएम मोदी का मानना है कि 2024 तकनीक और भू-राजनीतिक परिवर्तन का साल है। इसका फायदा भारत को हर हाल में उठाना ही चाहिए। हमें ऐसी स्ट्रेटजी बनानी चाहिए जिससे देश में विदेशी निवेश अधिक से अधिक आए। अगर हम गौर से देखें तो विकसित राष्ट्र का मतलब मात्र इंफ्रास्ट्रक्चर से ही नहीं होता। देश के लोगों का जीवन स्तर भी उच्च श्रेणी का होना चाहिए। इसके अंतर्गत लोगों की सालाना आय कम से कम 15 लाख रुपए होनी चाहिए और देश की अर्थव्यवस्था को भी 30 ट्रिलियन डॉलर का होना चाहिए।
राज्य तैयार करें मास्टर प्लान
प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों से रोजगार के मुद्दे पर ध्यान देने और युवाओं के कौशल प्रशिक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए शून्य गरीबी के लक्ष्य को प्राथमिकता देनी होगी। नीति आयोग के दृष्टिकोण पत्र- विजन फॉर विकसित भारत आठ, 2047 में यह कहा गया है कि हाल ही में आए बजट में विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को पूरा करने के लिए महिलाओं को लेकर बड़ी घोषणाएं की गई हैं। अनेक ऐसे अध्ययन हैं जिनमें यह दावा किया गया है कि यदि वर्किंग महिलाओं की संख्या को देश में बढ़ाया जाए तो भारत की विकास दर में डेढ़ प्रतिशत की वृद्धि होगी और हम विकसित राष्ट्र की ओर तीव्र गति से आगे बढ़ सकेंगे।
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की नौवीं बैठक में पीएम मोदी ने संघवाद पर जोर देते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का सपना हर राज्य को साथ लिए बगैर पूरा नहीं हो सकता। ज्ञात हो कि विपक्षी गठबंधन के शासन वाले राज्य, बिहार के सीएम तथा कुछ केंद्र शासित प्रदेश इस बैठक में शामिल नहीं हुए जबकि ऐसा कौन सा भारतीय होगा जिसके मन में विकसित भारत का सपना नहीं पल रहा होगा।
स च तो यह है कि बैठक में शामिल न होने वाले राज्यों ने कहीं न कहीं अपने-अपने प्रदेशों की जनता को एक ऐसे अवसर से वंचित कर दिया, जहां वे अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से देश को एक नए लक्ष्य को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण विचार प्रदान कर सकते थे। इसीलिए विकसित भारत को देश के हर भारतीय का सपना बताते हुए पीएम मोदी ने राज्यों से कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य के स्तर पर रोडमैप बनाए जाने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने गांवों के स्तर से गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय करने का आह्वान किया और कहा कि गरीबी से निपटने के लिए सिर्फ कार्यक्रम स्तर पर ही नहीं, व्यक्तिगत स्तर पर भी काम करने पर बल दिया जाना चाहिए। पीएम मोदी बोले कि पिछले 10 वर्षों में भारत दुनिया की 14वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अब यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। आयोग ने 2047 तक 30 ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में यह गवर्निंग काउंसिल की नौवीं बैठक थी।
कई राज्यों ने बनाई अपनी रणनीति
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने बताया कि पीएम मोदी का भाषण बहुत हद तक विकसित भारत पर ही केंद्रित रहा। उनका मानना है कि विकसित भारत के लिए हर राज्य की अपनी रणनीति होनी चाहिए। वैसे इस बारे में पहले भी बात हुई है और खुशी की बात यह है कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने इस पर अपनी रणनीति भेज दी है। गोवा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम और बिहार की तरफ से इस पर काम हो रहा है। पीएम मोदी ने राज्यों के बीच विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धा होने की बात भी कही। नीति आयोग को कहा गया है कि वह एफडीआई आकर्षित करने के लिए राज्यों की नीतियों पर उनकी रेटिंग करें। इसके लिए राज्यों की नीति, कार्यक्रमों व प्रक्रिया के आधार पर एक चार्टर बनेगा। बैठक में गरीबी उन्मूलन के लिए एक राज्य की तरफ से गांव आधारित गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम बनाने का सुझाव दिया गया जो प्रधानमंत्री के अलावा दूसरे सदस्यों को भी पसंद आया। इस पर आगे काम होगा। यह एक साथ 20-30 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लाने की योजना के बजाय पूरे गांव की गरीबी दूर करने पर केंद्रित होगा। पीएम मोदी ने राज्यों को उत्पादकता पर काम करने को कहा। जनसंख्या नियंत्रण और जनसांख्यिकीय लाभ (जनसंख्या में कामगारों का अधिकतम हिस्सा) के बीच सामंजस्य भी बैठक में एक बड़ा मुद्दा रहा। कुछ राज्यों ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर हमें जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से सीख लेनी चाहिए। इन देशों में अब बुजुर्गों की संख्या काफी बढ़ चुकी है और सरकार के प्रोत्साहन के बावजूद युवाओं की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। भारत में भी युवा कामगार ज्यादा हैं लेकिन वर्ष 2040 के बाद से युवाओं की संख्या कम होने लगेगी और बुजुर्गों की संख्या बढ़ने लगेगी। इस बारे में अभी से रणनीति बनाने पर विचार किया जा रहा है।
न आने वालों ने किया अपना नुकसान
नीति आयोग की मीटिंग में नहीं आने वाले राज्यों के संबंध में आयोग के सीईओ सुब्रह्मण्यम ने कहा कि अगर वह इस मीटिंग में शामिल नहीं हुए, तो इसमें उनका ही नुकसान है। ये राज्य मीटिंग में आते तो और बेहतर होता। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बैठक में शामिल न होने को लेकर भले ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हो रही हों लेकिन नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि नीतीश कुमार इसलिए शामिल नहीं हो सके क्योंकि वे राज्य में विधानसभा सत्र में व्यस्त थे।
10 राज्यों के मुख्यमंत्री नहीं आए
गवर्निंग काउंसिल में प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों के अलावा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल सदस्य शामिल होते हैं। नौवीं बैठक में 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री तथा उपराज्यपाल शामिल हुए। 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। इनमें केरल, पंजाब, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, झारखंड, बिहार और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री शामिल हैं। पूर्व निर्धारित व्यस्तता की वजह से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक में शामिल नहीं हो पाए। कांग्रेस और द्रमुक ने पहले ही बैठक का बहिष्कार करने का एलान कर दिया था।
ममता बनर्जी को ‘आउट आफ टर्न’ बोलने की अनुमति दी गई : पीआइबी
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने नीति आयोग की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के माइक्रोफोन बंद होने के दावे का खंडन किया है। साथ ही इसे भ्रामक भी करार दिया। पीआईबी ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री को बैठक में प्रमुखता दी गई। उन्हें ‘आउट आफ टर्न’ बोलने की अनुमति दी गई। अल्फाबेट के अनुसार उनकी बारी दोपहर भोजन के बाद आती। बंगाल सरकार के अनुरोध पर उन्हें 7वें वक्ता के रूप में शामिल किया गया, क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था। आयोग की बैठक से निकलने के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए गए। असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के सीएम ने 10-12 मिनट तक बात की। मुझे सिर्फ पांच मिनट बाद बोलने पर ही रोक दिया गया। विपक्ष की ओर से सिर्फ मैं प्रतिनिधित्व कर रही हूं क्योंकि, सहकारी संघवाद को मजबूत करने में मेरी अधिक रुचि है। नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं, यह कैसे काम करेगा? मैंने विरोध दर्ज कराया। मैं आगे किसी भी बैठक में शामिल नहीं होऊंगी। वह नीति आयोग की बैठक में भाग लेने वाली विपक्ष शासित राज्यों की एकमात्र मुख्यमंत्री थीं।