ब्लिट्ज ब्यूरो
रियाद। सऊदी अरब के मक्का शहर में दूसरी सऊदी ओपन योग आसन चैम्पियनशिप की मेजबानी की गई। इसमें बड़ी संख्या में लड़के-लड़कियों ने भाग लिया। चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को इनाम देकर सम्मानित किया गया। चैंपियनशिप देखने के लिए काफी संख्या में लोग जुटे और योग आसन देखकर प्रतिभागियों की तारीफ भी की। दुनिया के कई मुस्लिम देशों में दक्षिणपंथी समूहों के योग का विरोध करते रहे हैं लेकिन सऊदी में ये सफलता के साथ आयोजित हुआ।
64 प्रतिभागी जिनमें 54 लड़कियां
सऊदी के अलग-अलग शहरों से आए 10 लड़कों और 54 लड़कियों ने चैंपियनशिप में भाग लिया। चैंपियनशिप में पहुंचे भारत के महावाणिज्य दूत मोहम्मद शाहिद आलम ने कहा, हमें इसकी बहुत खुशी है कि 2017 से सऊदी अरब में योग को एक खेल गतिविधि के रूप में मान्यता दी गई है और सऊदी योग समिति ने लगातार योग पर कार्यक्रम कराए हैं। इससे आम लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।
ओलंपिक में योग शामिल होने की संभावना
उन्होंने कहा कि भविष्य में ओलंपिक में भी योग के शामिल होने की संभावना बन सकती है। सऊदी अरब की यह एक अच्छी शुरुआत है। योग आसन चैंपियनशिप का सफल आयोजन सऊदी अरब में योग की बढ़ती लोकप्रियता को दिखाता है। मक्का के अलावा जेद्दा, मदीना, ताइफ और देश के दूसरे शहरों से भी प्रतिभागी इस चैंपियनशिप में पहुंचे।
इस कार्यक्रम को सऊदी अरब ओलंपिक समिति और खेल मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित किया गया, जो एक वैध खेल गतिविधि के रूप में योग की आधिकारिक मान्यता का संकेत है। सऊदी योग समिति के अध्यक्ष नौफ अल-मरवाई खुद इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। योग को नवंबर 2017 में सऊदी में आधिकारिक तौर पर अनुमति दी गई थी। इसके बाद मई 2021 में सऊदी योग समिति का गठन हुआ, जिसे बाद में नए सऊदी योग महासंघ के रूप में मान्यता दी गई।
कई भ्रान्तियों को भी तोड़ा
मुसलमानों के लिए सबसे ज्यादा धार्मिक अहमियत रखने वाले शहरों में से एक मक्का में योग प्रतियोगिता ने कई भ्रान्तियों को भी तोड़ने का काम किया है। योग को लेकर कट्टरपंथी मुसलमानों के कुछ संगठन विरोध जताते रहे हैं।
इसमें मालदीव, मलेशिया, पाकिस्तान समेत कई देशों के मौलाना और संगठन शामिल हैं। इन लोगों का कहना है कि योग में सूर्य की पूजा की जाती है। ये सूरज को भगवान मानकर पूजा करने जैसा है, जिसकी इजाजत इस्लाम नहीं देता, वहीं एक बड़े वर्ग का कहना है कि योग स्वस्थ रहने के व्यायाम का एक तरीका है, इसे धार्मिक चश्मे की बजाय किसी भी दूसरे खेल की तरह देखा जाना चाहिए।