ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भविष्य में युद्ध का स्वरूप बदलेगा। इंसानों के बजाय मशीनों की भूमिका बढ़ेगी। ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत हर रक्षा तकनीक देश में बनाने का लक्ष्य है। इससे न सिर्फ हमारी सेनाओं की जरूरत पूरी होगी बल्कि इनका निर्यात कर राजस्व भी अर्जित किया जा सकेगा।
कई देशों को निर्यात
भारत कई देशों को मिसाइल, आर्टिलरी गन, रॉकेट, निगरानी तंत्र, जलपोत, रडार, और गोला बारूद बेच रहा है। नाइजीरिया, अर्जेंटीना और मिस्र को हल्के लड़ाकू विमान तेजस बेचने की बात चल रही है। ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस ने भी इस विमान को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
पहला बजट
आजादी के बाद पहला बजट कुल 197.4 करोड़ का पेश किया गया था। इसमें से आधे से अधिक पैसा रक्षा क्षेत्र को दिया गया था। तीनों सेनाओं के पास आधुनिक हथियारों का संकट था। आज सेनाओं के पास स्वदेशी युद्धपोत से लेकर आधुनिक टैंक और दूसरे हथियार हैं जिससे दुश्मनों के दांत खट्टे किए जा सकते हैं।
निर्यात लक्ष्य बढ़ाया
1947 में भारत की आयात पर निर्भरता 90 प्रतिशत तक थी। आज यह घटकर 40 प्रतिशत तक रह गई है। देश का रक्षा निर्यात बढ़ाकर 90 हजार करोड़ से अधिक करने का लक्ष्य रखा गया है। अगले पांच वर्षों में एयरो इंजन, गैस टर्बाइन बनाने की योजना है। सेना में स्वदेशी टैंकों के निर्माण पर जोर है।
वक्त ने बदली तस्वीर
1. रक्षा क्षेत्र की 366 कंपनियों को 595 औद्योगिक लाइसेंस जारी।
2. रक्षा क्षेत्र से जुड़े 200 से अधिक स्टार्टअप का संचालन हो रहा है।
3. उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस इंडस्टि्रयल कॉरिडोर मौजूद।
4. सृजन पोर्टल पर 19,509 तरह के स्वदेशी रक्षा उत्पाद मौजूद हैं।
अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनेगा देश का रक्षा क्षेत्र
2047 में भारत रक्षा क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर देश होगा। तब हम रक्षा सामग्री के आयातक की नहीं होगी बल्कि निर्यातक की होगी। इससे देश को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है। आज हम एक विमान की खरीद पर लगभग छह हजार करोड़ रुपये खर्च करते हैं। यह खरीद अब देश की कंपनियों से भी हो रही है। भविष्य में पूरी तरह देश में होगी। यह पैसा विदेश नहीं जाएगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में ही घूमेगा। तब सरकार उसे दूसरे विकास कार्यक्रमों पर खर्च करेगी।
कई मित्र देशों को निर्यात भी करेंगे
इतना ही नहीं तब हमारा रक्षा उत्पादन इतना बढ़ चुका होगा कि कई मित्र देशों को निर्यात भी करेंगे। आज जिस प्रकार अमेरिका और रूस सहित अन्य देश हथियारों की बिक्री से अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए हुए हैं, वैसी ही स्थिति में तब भारत भी पहुंच जाएगा। इससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।