विनोद शील
नई दिल्ली। ‘वोट युद्ध’ के लिए महारथियों का तूफानी प्रचार शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विपक्षियों की कमजोरी और उनके बेतुके बयानों को अपना मजबूत हथियार बनाने में सिद्धहस्त हैं। वैसे अभी तक के लगभग सभी चुनाव महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे परंपरागत मुद्दों पर लड़े जाते रहे हैं किंतु इस बार 2024 में 18वीं लोकसभा के लिए होने वाले चुनावों में पीएम मोदी ने बिल्कुल नया ट्रेंड सेट करते हुए ‘देश के विकास’ तथा ‘विकसित और आत्म निर्भर भारत’के प्रश्न को अपने ‘वोट पथ’ यानि चुनाव का मुद्दा बना दिया है। वे अपनी सभाओं में जनता के समक्ष देश के विकास की बात करते हैं। ‘विकसित और आत्म निर्भर भारत’ कैसे बनेगा; इसका रोडमैप मतदाताओं के सामने रखते दिखाई देते हैं।
पीएम मोदी देश और दुनिया के लोगों को यह बता रहे हैं कि भारत 2047 में जब अपनी आजादी के 100 वर्ष मना रहा होगा तो भारत एक आत्म निर्भर एवं विकसित देश होगा जबकि विपक्ष आज भी परंपरागत मुद्दों पर ही अपने अभियान की नींव टिकाए हुए है। विपक्ष के पास ऐसा कोई रोडमैप नजर नहीं आता जिसमें वह यह बताते हुए दिखाई दे कि देश को आखिर वे कहां ले जाना चाहते हैं?
अब बात करते हैं कि किस तरह पीएम मोदी ने विकसित भारत और विकास को चुनाव का मुद्दा बना दिया। पीएम मोदी कहते हैं कि विकास मेरा दृढ़ विश्वास है और ये मेरी प्रतिबद्धता है। देश की नई पीढ़ी केवल विकास में विश्वास करती है। मेरा विश्वास है कि सभी समस्याओं का हल विकास के जरिये ही किया जा सकता है। विकास ही उस तनाव को भी कम कर सकता है जिसके बारे में लोग चर्चा करते हैं। हम लोगों को रोजगार, भोजन और वो तमाम सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं, जो उन्हें मिलनी चाहिए। इससे सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
– मोदी बने उम्मीद और आकांक्षाओं के प्रतीक
– विकसित भारत का मतलब देश का हर कोना भागीदार बने
– राम मंदिर भी अयोध्या के अभूतपूर्व विकास का कारक बना
– देश की नई पीढ़ी केवल विकास में करती है विश्वास
– राष्ट्रवाद और मजबूत नेता के रूप में एक ब्रांड बने मोदी
पीएम मोदी ने कुछ दिन पूर्व ही एक तमिल टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि ‘विकसित भारत’ का मतलब है कि देश का हर कोना विकास का भागीदार बने।
अभी तक के घटनाक्रम यही बताते हैं कि विपक्ष के पास मोदी के विकसित भारत के जवाब में कोई भी ठोस मुद्दा नहीं है। विपक्षी गठबंधन पर भी सवालिया निशान लगे हुए हैं। भले ही विपक्ष एकजुटता के दावे करता हो पर भीतर से वह कहीं से भी साथ खड़ा नजर नहीं आता। हालात ये हैं कि अनेक राज्यों में विपक्षी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) की पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ ही चुनाव मैदान में हैं और इसे वे एक ‘फ्रैंडली फाइट’ का नाम दे रहे हैं।
वैसे राजनीति के हर दांव-पेंच को अच्छे से समझने वाले प्रधानमंत्री मोदी क्षेत्र के हिसाब से अपनी चुनावी रणनीति व मुद्दे तय करने में माहिर हैं। अपने खिलाफ विपक्ष के हर बेतुके बयान को पीएम मोदी हथियार बना कर विपक्ष को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं। राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक नेता लालू प्रसाद ने जब प्रधानमंत्री मोदी के परिवार के प्रश्न पर टिप्पणी की तो पीएम मोदी ने कहा कि पूरा देश ही उनका परिवार है। वह कहते हैं कि विपक्ष की अधिकतर पार्टियां परिवारवादी हैं और केवल अपने परिवार के लोगों को ही आगे बढ़ाना इनका काम है। यदि देखा जाए तो पीएम मोदी की यह बात बहुत कुछ सत्य ही प्रतीत होती है। इस बार भाजपा के नेता और समर्थकों ने अपने-अपने नाम के साथ ‘मोदी का परिवार’ जोड़ लिया- और खुद टारगेट से हटकर हथियार का मुंह उसी ओर मोड़ दिया जिधर से वार किया गया था।
ऐसे ही अभी हाल में कांगेस नेता राहुल गांधी ने भी अपनी न्याय यात्रा के दौरान ‘शक्ति’ पर एक बयान दिया था जिस पर उन्हें पीएम मोदी ने प्रखर तरीके से घेरा था। दरअसल पीएम मोदी को रोकना तो शायद दूर की बात है, फिलहाल अपने सर्वाइवल के लिए भी राहुल गांधी को रणनीति बदलनी होगी। ऐसा लगता है कि राहुल गांधी ने 2019 की गलतियों से सबक नहीं लिया है। फिर वैसी ही गलती दोहराने लगे हैं। सत्ता की कौन कहे, अब तो उनके सामने सरवाइवल की लड़ाई का प्रश्न पैदा हो गया है। दरअसल चौकीदार, अडाणी-अंबानी, राफेल, परिवार – प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ये सारे मुद्दे काम नहीं करते हैं। देखा जाए तो अडाणी-अंबानी का मुद्दा भी चुनावों के दौरान लोगों को राफेल की तरह ही बोरियत पैदा करने वाला सा लग रहा है।
अन्य मुद्दों की बात करें तो हिंदुत्व का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है। यूपी में राम मंदिर बन जाने के बाद लोग कुछ भी इधर-उधर की सुनना नहीं चाहते और राम मंदिर भी अयोध्या के अभूतपूर्व विकास का प्रतीक बन गया है। ऐसे में राहुल गांधी को सोच समझकर ही बोलना चाहिए।
मोदी की गारंटी
इसके अलावा लोकसभा चुनाव में ‘मोदी की गारंटी’ भी एक बहुत बड़ा फैक्टर साबित होगा, ऐसा माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसका स्पष्ट संकेत दिया है कि इस चुनाव में उनके प्रचार अभियान का मुख्य विषय ‘मोदी की गारंटी’ रहने वाला है। पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अनुसार, ‘मोदी की गारंटी’ युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तिकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी हाशिए पर पड़े और कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है। इसके आगे कांग्रेस की ‘न्याय गारंटी’ कितनी चलेगी यह तो समय ही बताएगा।
अनुच्छेद 370, सीएए, यूसीसी
ये तीनों मुद्दे भाजपा के लंबे समय से किए गए वादों में शामिल रहे हैं। भाजपा ने संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 के क्रियान्वयन और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की अपनी उपलब्धि को पेश करना जारी रखा है और अग्रदूत के रूप में उत्तराखंड में भी समान नागरिक संहिता पर एक कानून पारित कर दिया है।
विकसित भारत का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि हमारा लक्ष्य एक विकसित राष्ट्र बनाना है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार 2047 तक इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। विकसित भारत का दृष्टिकोण भाजपा के चुनावी अभियान में महत्वपूर्ण रहेगा, इसमें कोई दोराय नहीं है। चुनावी मौसम के दौरान भाजपा का यह दावा होगा कि मोदी सरकार ने ‘अमृतकाल’ में सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है।
पार्टी से बड़ी हुई मोदी की छवि
इसमें कोई शक नहीं कि मोदी ने अपने आप को एक ब्रांड के रूप में स्थापित किया है, चुनावी अभियान में वे एक राष्ट्रवादी नेता की तरह उभरे हैं। मोदी की छवि पार्टी से बड़ी हो गई है। वे कइयों के लिए उम्मीद और आकांक्षाओं के प्रतीक बन गए हैं।