ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। विटामिन डी एकमात्र ऐसा विटामिन है, जिसे हमारा शरीर खुद बना सकता है। इसके लिए हमें सिर्फ धूप की जरूरत होती है। जिस तरह सूरज की रोशनी में पौधे फोटो सिंथेसिस करके अपने लिए खाना बनाते हैं, उसी तरह हमारा शरीर भी अपने लिए विटामिन डी बनाता है।
दुनिया की आधी आबादी प्रभावित
आश्चर्य की बात यह है कि सूरज की रोशनी मुफ्त में मिलने के बावजूद दुनिया की करीब आधी आबादी विटामिन डी की कमी से जूझ रही है। हमारे देश में तो मामला और भी गंभीर है। टाटा 1 एमजी लैब की एक स्टडी के मुताबिक भारत में करीब 76 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। इसका मतलब हुआ कि हर चार में से तीन लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी है।
साल भर सरप्लस सनलाइट
भारत की भौगोलिक स्थिति को देखें तो हमारे देश के बीचों बीच से कर्क रेखा गुजरती है। यानी हमारे देश को साल भर सरप्लस सनलाइट मिलती है। ऐसे में भारतीयों में इतनी बड़ी संख्या में विटामिन डी की कमी से सवाल उठता है कि आखिर इस कमी की वजह क्या है?
बढ़ सकता है बीमारियों का ग्राफ
हमारे शरीर में विटामिन डी पर उतनी ही जिम्मेदारियां हैं, जितनी घर के किसी उम्रदराज मुखिया पर होती हैं। यह हमारे शरीर की बुनियादी जरूरतों में से एक है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मुताबिक कुल मिलाकर विटामिन डी हमारे शरीर में 200 से ज्यादा छोटे-बड़े फंक्शंस के लिए जिम्मेदार है।
स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल की 2019 की एक स्टडी के मुताबिक विटामिन डी की कमी जानलेवा बीमारियों की संभावना 18 प्रतिशत बढ़ा देती है। भारतीयों में इतनी बड़ी मात्रा में विटामिन डी की कमी आने वाले समय में बीमारियों का ग्राफ बढ़ा सकती है।
बुढ़ापे का सहारा विटामिन डी
स्वस्थ शरीर और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन डी बेहद जरूरी है। हमारे बुढ़ापे का असल सहारा भी यही है। यह डॉक्टर की तरह हमारा ख्याल रखता है। कई बार हमें पता ही नहीं होता कि हमारे शरीर में किस चीज की कमी हो रही है और क्यों हो रही है।
विटामिन डी की कमी क्यों होती है
रिसर्च के मुताबिक ऐसे कुल 9 फैक्टर हैं, जिनकी वजह से हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है।
भौगोलिक अवस्थिति का प्रभाव
धरती के जिन हिस्सों पर सूरज की सीधी रोशनी नहीं पड़ती, वहां यूवीबी किरणें भी कम पहुंचती हैं। इन किरणों की मदद से ही हमारा शरीर विटामिन डी बनाता है। यही वजह है कि ठंडे देशों में लोगों को विटामिन डी के सप्लीमेंट्स लेने पड़ते हैं।
वायु प्रदूषण बन रहा विटामिन डी की कमी का कारण
सड़कों पर दिन-रात दौड़ रहे वाहनों का धुआं, फैक्ट्रियों और कारखानों का धुआं वायु प्रदूषण का कारण है। इससे हवा में कार्बन पार्टिकल्स बढ़ जाते हैं। ये सूरज की रोशनी के साथ आ रही यूवीबी किरणों को अवशोषित कर लेते हैं। कुछ यूवीबी किरणों को ओजोन लेयर अवशोषित कर लेती है। अगर हम प्रदूषित इलाके में रहते हैं तो इस बात की बहुत आशंका है कि हम विटामिन डी की कमी से जूझ रहे होंगे।
सनस्क्रीन से हो सकती है विटामिन डी की कमी
सनस्क्रीन हमें सनबर्न से बचाने के लिए यूवी किरणों को ब्लॉक करती है लेकिन इसके साथ ही यूवीबी किरणें भी ब्लॉक हो जाती हैं। इस वजह से विटामिन डी की कमी हो सकती है।
डार्क स्किन को विटामिन डी बनाने के लिए चाहिए ज्यादा धूप
हमारी स्किन में जितना मेलेनिन होता है, स्किन उतनी ही डार्क होती है। मेलेनिन स्किन को यूवी किरणों से प्रोटेक्ट करता है। यही वजह है कि जिनकी स्किन डार्क होती है, उन्हें विटामिन डी बनाने के लिए ज्यादा सनलाइट एक्सपोजर चाहिए।
स्किन टेम्परेचर भी विटामिन डी प्रोडक्शन के लिए जिम्मेदार
ठंडी त्वचा की तुलना में गर्म त्वचा विटामिन डी बनाने में ज्यादा एफिशिएंट होती है। इसलिए गर्मी के दिनों में हमारी स्किन ज्यादा विटामिन डी बनाती है।
अधिक वजन बन सकता है विटामिन डी की कमी का कारण
हार्वर्ड मेडिसिन स्कूल की स्टडी के मुताबिक, फैट टिश्यूज विटामिन डी को अवशोषित कर लेते हैं ताकि विटामिन डी की कमी होने पर शरीर इसका इस्तेमाल कर सके। हालांकि इसी स्टडी में यह भी पता चला कि अधिक वजन वाले लोगों में विटामिन डी की कमी होती है क्योंकि शरीर में जमा फैट विटामिन डी सोख लेता है।
उम्र बढ़ने के साथ घटती है स्किन की विटामिन डी बनाने की क्षमता
उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर में उन सब्स्टेंसेज की कमी हो जाती है, जिनकी मदद से त्वचा विटामिन डी बनाती है।
यही कारण है कि वृद्ध लोगों में अक्सर विटामिन डी की कमी पाई जाती है। डॉक्टर इसकी पूर्ति के लिए सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं।
गट हेल्थ का विटामिन डी के अवशोषण से है सीधा कनेक्शन
हम भोजन या सप्लीमेंट्स के रूप में जो भी विटामिन डी लेते हैं, वह गट यानी पेट में जाकर अवशोषित होता है। हमारे स्टमक जूस, बाइल जूस, आंतों की दीवारें ये सब मिलकर विटामिन डी को अवशोषित करते हैं। अगर इनमें से किसी की भी सेहत खराब है या कोई बीमारी है तो विटामिन डी सप्लीमेंट लेने के बाद भी वह शरीर में एब्जॉर्व नहीं होगा।
लिवर और किडनी हेल्थ का भी है कनेक्शन
लिवर और किडनी की हेल्थ का भी विटामिन डी के अवशोषण से सीधा कनेक्शन है। अगर लिवर बीमार है तो बाइल जूस का उत्पादन प्रभावित होगा, जो विटामिन डी के अवशोषण के लिए जरूरी है। जबकि किडनी विटामिन डी को एक्टिवेट करती है।
अगर विटामिन डी एक्टिवेट नहीं है तो यह हमारे शरीर के किसी काम का नहीं है। इसलिए किडनी डिजीज होने पर भी विटामिन डी की कमी हो जाती है।
कैसे पूरी हो इसकी कमी
‘इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्रोनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक भारतीयों को विटामिन डी का लेवल नॉर्मल बनाए रखने के लिए रोज 1 घंटे धूप की जरूरत है। अगर दोपहर के समय हम 1 घंटे धूप में रहते हैं तो विटामिन डी का लेवल मेन्टेन रह सकता है।
यहां इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि हमारी त्वचा का जितना हिस्सा सीधे सूरज की रोशनी के संपर्क में आता है, उतना ही विटामिन डी बनाता है। कपड़े पहनकर धूप में बैठने का कोई फायदा नहीं।
हालांकि अभी गर्मियों के मौसम में दोपहर की धूप में जानें से बचें। अभी सुबह की धूप ही पर्याप्त है। गर्मियों में फोर्टिफाइड अनाज, दूध, चीज, मशरूम, अंडा और मछली वगैरह खाकर भी इसकी कमी पूरी की जा सकती है।