ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। गुजरात के त्रिदिवसीय बहुचर्चित वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन वाइब्रेंट गुजरात की शुरुआत 10 जनवरी को हो गई। पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां संबोधन किया और 2047 में देश की आजादी के सौ वर्ष पूरे होने पर विकसित भारत के संकल्प की बात कही।
अगर देखा जाए तो वैसे तो यह सम्मेलन गुजरात के विकास पर केंद्रित है लेकिन इसके जरिए लोकसभा चुनाव में भी देश के विकास के परिदृश्य का एक खास सकारात्मक संदेश जाएगा; इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता।
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने से पहले जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब इसी तरह का सम्मेलन उन्हें राष्ट्रीय नेता के तौर पर उभारने में मददगार बना था। सच्चाई तो यह है कि वाइब्रेंट गुजरात की शुरुआत किसी और ने नहीं बल्कि सूबे के मुख्यमंत्री रहते समय खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2003 में की थी। उसके बाद 2003 के वाइब्रेंट गुजरात समिट ने राज्य को विकास की राह पर ऐसा बढ़ाया कि फिर मुड़कर पीछे नहीं देखा।
आ ज गुजरात विकास के मामले में बहुत आगे है। इस बार सम्मेलन में 34 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं जो अपने आप में खास है। यूएई के राष्ट्रपति के साथ पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही रोड शो कर के राष्ट्रीय संदेश दिया है।
जाहिर सी बात है गुजरात का विकास भी पीएम नरेंद्र मोदी के शासन में तेज गति से हुआ और अब वही देश के प्रधानमंत्री हैं तो इस सम्मेलन का असर लोकसभा चुनाव पर भी पॉजिटिव ही होगा।
अरब से मजबूत होते संबंध पीएम मोदी के लिए लाभदायक
गुजरात में दुनियाभर के दिग्गजों का जुटान है जिसमें यूएई के राष्ट्रपति की उपस्थिति बेहद खास है। दिसंबर में दुबई में कॉप28 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की यात्रा के बाद वाइब्रेंट गुजरात समिट में भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच मजबूत होते रिश्ते भी पीएम मोदी के पक्ष में निसंदेह सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। मुस्लिम देश यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ में मुख्य अतिथि भी हैं।
शिखर सम्मेलन का 20वां वर्ष खास, द्विपक्षीय बैठक का वैश्विक असर
दरअसल, वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का 10वां संस्करण 10 से 12 जनवरी 2024 तक गांधीनगर में आयोजित हो रहा है। इसकी थीम ‘गेटवे टू द फ्यूचर’ है। यह संस्करण ‘वाइब्रेंट गुजरात के 20 वर्षों की सफलता को दर्शाने वाला है जो बीजेपी शासन में गुजरात के विकास को रेखांकित करेगा। कहा जाता है कि इस ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ के पीछे पीएम मोदी का ही दिमाग व उनकी सोच है। जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उनके दिमाग में ही इसका नाम आया था। इस बार इस सम्मेलन में रिकॉर्ड संख्या में एमओयू पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है जो विश्व मंच पर भारत के व्यापारिक संबंधों को नया आयाम देने वाला होगा।
शिखर सम्मेलन में जिन देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं, उनके साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता भी हो रही है जो एक राज्य के शिखर सम्मेलन के बावजूद राष्ट्रीय और वैश्विक वार्ता के तौर पर दर्ज होगी।