सिंधु झा
नई दिल्ली। भारतीय सेना के एकीकृत थिएटर कमांड को अंजाम देने के लिए संसद की स्थायी समिति ने कानून बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। कानून सभी मौजूदा त्रि-सेवा (थल , जल और नभ ) और भविष्य के थिएटर कमांडरों को उनके अधीन कर्मियों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग करने में सक्षम बनाएगा।
संसद के मौजूदा मानसून सत्र में इस बाबत विधेयक पेश किया जाएगा। समिति ने अपनी रिपोर्ट में विधेयक का समर्थन किया है और इसे बिना किसी संशोधन के पारित करने की मांग की है। यह कदम भारत द्वारा अपनी पहली त्रि-सेवा कमान — अंडमान और निकोबार कमान बनाने के 22 साल बाद उठाया गया है।
मालूम हो कि रक्षा मंत्रालय ने इस साल मार्च में अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 पेश किया था, जिसे संसद के रक्षा मामलों की स्थायी समिति को भेजा गया था। भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के कार्मिक उनके विशिष्ट सेवा अधिनियमों — सेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957, वायु सेना अधिनियम 1950 में निहित प्रावधानों के अनुसार शासित होते हैं।
जब ये कानून लागू किए गए तो अधिकांश सेवा संगठन बड़े पैमाने पर एक ही सेवा के कर्मियों से बने थे। वर्तमान में कई अंतर-सेवा संगठन मौजूद हैं जैसे अंडमान और निकोबार कमांड, सामरिक बल कमांड, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज जैसे संयुक्त प्रशिक्षण प्रतिष्ठान, जहां विभिन्न सेवाओं के कर्मी काम करते हैं।
नया कानून कमांडर-इन-चीफ को किसी भी सेवा के कर्मियों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति देगा जो उसकी कमांड के तहत सेवा कर रहे हैं। यह नया बिल ऐसे समय आया है जब भारत थिएटर कमांड बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसमें तीनों सेनाओं के कर्मी एक कमांडर के अधीन होंगे, जो थिएटर के आधार पर किसी भी सेवा से हो सकते हैं।