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नई दिल्ली। नई संसद को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की थीम पर तैयार किया गया है। नए संसद भवन में 8 राज्यों की खास चीजों का इस्तेमाल किया गया। इसमें देश की संस्कृति के विविध रंग भी नजर आ रहे हैं। ‘अनेकता में एकता हिंद की विशेषता’ के तमाम चमकते पहलू एक छत के नीचे दृष्टिगोचर हो रहे हैं। भारत की विविधता का सौंदर्य जैसे मुंह से बोलता नजर आ रहा है।
राजस्थानी पत्थर, महाराष्ट्र की लकड़ी, गुजरात का पीतल बने नए संसद भवन की शान
l8 राज्यों की खास चीजों से बना है नया संसद भवन
राजस्थान: पार्लियामेंट में लगे लाल और सफेद पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से आए हैं। यहां लगा केसरिया हरा पत्थर भी राजस्थान का है।
महाराष्ट्र: संसद भवन में इस्तेमाल की गई ज्यादातर लकड़ी महाराष्ट्र से आई है। भवन में लकड़ी से काफी कुछ बनाया गया है जो देखने में बेहद खूबसूरत है।
उत्तर प्रदेश: भवन में बिछाई गई कालीन भदोही, मिर्जापुर से आई। सीमेंट की ईंटें भी यूपी से आई।
दमन और दीव: भवन में स्टील की फाल्स सीलिंग लगाई गई है जो बेहद सुंदर लग रही है। इन्हें दमन और दीव से मंगवाया गया।
मध्य प्रदेश: नए भवन की दीवार पर लगा विशाल अशोक च्रक इंदौर के कारीगरों ने बनाया है। भवन की दीवारों पर एमपी के कारीगरों ने बहुत मेहनत की है।
त्रिपुरा: भवन में इस्तेमाल हुए बांस पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा से मंगाए गए।
हरियाणा: भवन के लिए रेत हरियाणा से मंगवाया गया। हरियाणा से भी फ्लाई ऐश ईंटें मंगाई गई थीं।
गुजरात: संसद भवन में पीतल का भी इस्तेमाल किया गया है। पीतल गुजरात से मंगवाया गया।
नई संसद में अखंड भारत का नक्शा, अंबेडकर-सरदार पटेल और चाणक्य की प्रतिमा समेत कई ऐसी चीजें उकेरी गई हैं, जिन्हें देखकर देशवासियों को अपनी संस्कृति पर गर्व होता है। पीएम मोदी ने भी अपने संबोधन में इसका जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। इस भवन में विरासत भी है, वास्तु भी, कला भी है, कौशल भी है। इसमें संस्कृति भी, संविधान के स्वर भी हैं। लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है, जबकि राज्यसभा का हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। संसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है।
भित्तिचित्र का संदर्भ
संसद भवन में बना भित्तिचित्र, अतीत के महत्वपूर्ण साम्राज्यों और शहरों को चिह्नित करता है और वर्तमान पाकिस्तान में तत्कालीन तक्षशिला में प्राचीन भारत के प्रभाव को दर्शाता है।
राजदंड के समक्ष दंडवत मोदी
नई दिल्ली। नई संसद के उद्घाटन अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अलग-अलग मठों से आए अधीनम (पुजारियों) ने पीएम नरेंद्र मोदी को सेंगोल यानी राजदंड सुपुर्द किया। उसे लेने से पहले पीएम मोदी ने सेंगोल को दंडवत प्रणाम किया। इसके बाद उन्होंने उसे नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्पीकर ओम बिरला की मौजूदगी में स्थापित कर दिया। राजदंड के सामने पीएम मोदी के साष्टांग दंडवत प्रणाम ने सभी को चौंका दिया। पीएम मोदी को मदुरै के 293वें प्रधान पुजारी हरिहर देसिका स्वामीगल समेत कई अधीनम ने मिलकर राजदंड सौंपा। इसका इतिहास करीब 2000 साल पुराना है।
यह चेरा राजाओं से लेकर चोल राजवंश तक से संबंधित है। उस दौर में सत्ता परिवर्तन होने पर राजदंड नए राजा को दिया जाता था। भारत की आजादी के समय पीएम जवाहरलाल नेहरू को ये राजदंड दिया गया था।
देश भर के धर्माचार्यों ने पूजन की गरिमा बढ़ाई
नई दिल्ली। नए संसद भवन में सेंगोल स्थापित करने के बाद सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया। इसमें अलग-अलग धर्मों से जुड़े गुरुओं और लोगों ने पूजन किया। इस दौरान पीएम मोदी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत मोदी सरकार की पूरी कैबिनेट मौजूद रही। बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे। सर्वधर्म प्रार्थना में बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी, मुस्लिम, सिख, सनातन समेत कई धर्मों के धर्मगुरुओं ने प्रार्थनाएं की व अपने-अपने विधि विधान से अनुष्ठान किया।
विपक्ष भी दिखा सरकार के साथ
नई दिल्ली। संसद के नए भवन का उद्घाटन कार्यक्रम भी दलगत राजनीति से नहीं बच सका। कांग्रेस समेत 20 राजनीतिक पार्टियों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया। भाजपा भी विपक्ष की इस रणनीति को समझ रही थी। जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपना पहला संबोधन दिया तो उस दौरान अगली कतार में जदएस नेता एचडी देवेगौड़ा, वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख और आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, बीजद प्रमुख नवीन पटनायक बैठे दिखाई दिए। साथ ही लोजपा (रामविलास), बसपा, तेदेपा के नेता भी उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए।
विपक्ष के खिलाफ खड़े हुए पूर्व नौकरशाह-राजदूत
नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार पर 270 प्रमुख नागरिकों ने विपक्ष की निंदा की। इनमें 88 सेवानिवृत्त नौकरशाह, 100 प्रतिष्ठित नागरिक और 82 अकादमी जगत के लोग शामिल थे। इन लोगों ने एक संयुक्त बयान जारी करके विपक्ष की आलोचना की। बयान जारी करने वालों में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के पूर्व निदेशक वाईसी मोदी, पूर्व आईएएस अधिकारी आरडी कपूर, गोपाल कृष्ण और समीरेंद्र चटर्जी के अलावा लिंगया विश्वविद्यालय के कुलपति अनिल रॉय दुबे शामिल रहे। बयान में कहा गया कि नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह सभी भारतीयों के लिए गर्व का अवसर था लेकिन विपक्षी दल इस अवसर पर भी राजनीति करने से नहीं चूके। उनके खोखले दावे और बेबुनियाद तर्क समझ से परे हैं। इन प्रतिष्ठित नागरिकों का कहना था कि संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वालों ने खुलेआम लोकतंत्र की भावनाओं को चोट पहुंचाई।
राष्ट्रपति का कई बार अपमान: इस बयान में उन मौकों का भी जिक्र किया गया जब कांग्रेस सहित कई कई विपक्षी दलों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था। बयान में कहा गया कि विपक्षी दलों ने साल 2017, 2020, 2021 और 2022 में भी बहिष्कार किया था। बयान में कहा गया कि विपक्षी दल एकाएक राष्ट्रपति को लेकर अपनी हमदर्दी बयान करने लगे, लेकिन तब ये लोग उनके सम्मान के लिए क्यों नहीं खड़े हुए जब कांग्रेस के नेता ने उन्हें राष्ट्रपत्नी बोला था। 270 प्रतिष्ठित नागरिकों ने कहा कि विपक्ष अपनी उस नीति से बाज नहीं आ रहा है।
प्रधानमंत्री ने पहना धोती-कुर्ता, लुक ने बटोरीं सुर्खियां
नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन के समय पीएम मोदी के लुक ने काफी सुर्खियां बटोरीं। दरअसल हमेशा चूड़ीदार पायजामा पहनने वाले पीएम ने नए संसद भवन के उद्घाटन के वक्त धोती और कुर्ता पहना था। प्रधानमंत्री मोदी जब भी कहीं उद्घाटन के लिए जाते हैं तो वो पारंपरिक परिधान ही पहनते हैं। नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान भी उन्होंने जो कपड़े पहने थे, उनके कारण सभी का ध्यान उनकी ओर गया। सफेद रंग की धोती और कुर्ते के साथ पीएम ने हल्के सुनहरे से रंग की सदरी पहनी थी। पीएम ने इस दौरान अपने हाथों में गमछा भी लिया था। काले रंग के जूते उनके लुक को पूरा कर रहे थे। भारत में लगभग सभी जगहों पर पूजा के समय धोती-कुर्ते को ही पारंपरिक परिधान माना गया है। इससे पहले जब श्री राम मंदिर की नींव रखी गई थी, तब भी पीएम ने इसी तरह के कपड़े पहने थे।