नीलोत्पल आचार्य
नई दिल्ली। ब्लिट्ज इंडिया में चर्चा की जा रही है एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे पर । यह मुद्दा है दुनिया भर में लोगों के लिए पौष्टिक आहार की उपलब्धता और उससे जुड़ी चुनौतियों का।
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान यानी आईएफपीआरआई ने अपनी वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट 2024 जारी की है। यह रिपोर्ट और इसके निष्कर्ष भारत ही नहीं, दुनिया भर के लिए वाकई में चिंताजनक हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में लगभग दो अरब लोगों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है। पौष्टिक आहार की कमी सिर्फ कुपोषण का कारण नहीं बन रही है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का भी मुख्य स्रोत है। अगर आहार में सुधार किया जाए, तो हर साल पांच में से एक व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
– आंखें खोलने वाली है अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी
रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में दो अरब से अधिक लोग सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से जूझ रहे हैं। ये सूक्ष्म पोषक तत्व, जैसे विटामिन और खनिज, हमारे शरीर के लिए अत्यधिक आवश्यक होते हैं और इनकी कमी से कई तरह की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
खराब आहार से समस्या
सिर्फ यही नहीं, दुनिया भर में करीब 2.2 अरब लोग, यानी 40 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं। इसका मुख्य कारण खराब आहार है। यह समस्या केवल उच्च आय वाले देशों में नहीं है, बल्कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में भी तेजी से फैल रही है।
बच्चों पर असर और भी गंभीर
बच्चों पर इस समस्या का असर और भी गंभीर है। रिपोर्ट बताती है कि पांच साल से कम उम्र के 14.8 करोड़ बच्चे अविकसित हैं, और 4.8 करोड़ बच्चे कम वजन के हैं। यह स्थिति उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर गहरा प्रभाव डाल रही है, जो उनके भविष्य के लिए बेहद चिंताजनक है। दक्षिण एशिया में स्थिति और भी गंभीर है।
गैर-संचारी रोगों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा
यहां गैर-संचारी रोगों यानी नान कम्युनिकेबल डिजीज का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।
50 करोड़ शुगर रोगी
दुनियाभर में 0.5 बिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। इस रिपोर्ट में कुछ सिफारिशें भी की गई हैं। रिपोर्ट में स्वस्थ आहार की पहुंच, उसकी सामर्थ्य और उसकी कमी से निपटने के लिए चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया गया है-
उपलब्धता: पौष्टिक खाद्य पदार्थों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना।
पहुंच: सभी वर्गों के लोगों के लिए स्वस्थ आहार को सुलभ बनाना।
सामर्थ्य : आहार को आर्थिक रूप से वहन करने योग्य बनाना।
कमी से निपटना: पोषण संबंधी कमियों को दूर करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए।
एक और दिलचस्प जानकारी
रिपोर्ट में एक और दिलचस्प बात कही गई है कि रोजाना 400 ग्राम फल और सब्जियों का सेवन स्वस्थ आहार के मानक को पूरा कर सकता है। लेकिन इस मानक को केवल मालदीव ही पूरा कर रहा है। नेपाल, भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान, और पाकिस्तान जैसे देशों की स्थिति इसमें काफी खराब है।
दो अरब स्वस्थ आहार वहन नहीं कर सकते
दुनियाभर में दो अरब से अधिक लोग ऐसे हैं, जो स्वस्थ आहार का खर्च वहन नहीं कर सकते। यह तो अब पूरी तरह से स्पष्ट है कि वैश्विक खाद्य प्रणाली में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। खासतौर पर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पौष्टिक आहार की पहुंच और सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।