ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अगर दवाओं से मरीज का ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) नियंत्रित नहीं हो रहा है तो इसकी वजह एल्डोस्टेरोन हार्मोन का बढ़ा होना भी हो सकता है। 40 साल से कम उम्र के लोगों में अनियंत्रित बीपी की यह एक बड़ी वजह है। ऐसे मरीजों की सर्जरी कर उनका बीपी नियंत्रित किया जाता है।
एम्स दिल्ली अभी तक 100 ऐसे मरीजों की सर्जरी कर चुका है, जिनका बीपी बढ़ने की वजह एल्डोस्टरोन हार्मोन था और दवाओं से भी उनका बीपी नियंत्रण में नहीं आ रहा था।
एम्स के डॉक्टरों ने अपने अध्ययन में उच्च रक्तचाप के 18 फीसदी मरीजों में एल्डोस्टेरोन हार्मोन बढ़ा हुआ पाया। यही नहीं, सर्जरी कर इस हॉर्मोन का ट्यूमर निकाल देने पर मरीजों का रक्तचाप कम हो गया। एम्स के हॉर्मोन रोग विभाग के प्रोफेसर राजेश खड़गावत और डॉक्टर साराह आलम के नेतृत्व में हुए शोध में एल्डोस्टेरोन हार्मोन मरीजों में रक्तचाप बढ़ने की प्रमुख वजह के रूप में सामने आया है।
शोध टीम ने एम्स आने वाले रक्तचाप के 209 मरीजों पर अध्ययन किया, जिनमें से 18 फीसदी में एल्डोस्टेरोन हॉर्मोन बढ़ा हुआ पाया। यह अध्ययन 40 साल से कम उम्र के मरीजों पर किया गया।
रेडियोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. देवसेनाधिपति ने बताया कि सामान्य ब्लड जांच से यह पता नहीं चल पाता कि किस एड्रिनल ग्लैंड से हार्मोन अधिक बन रहा है। इस प्रोसीजर में कैथेटर डालकर एड्रिनल ग्लैंड की नसों से सैंपल लिए जाते हैं। जिस एड्रिनल ग्लैंड से हार्मोन अधिक बनता है, उसे आपरेशन कर निकाल देते हैं।
इन मरीजों को करानी चाहिए एल्डोस्टेरोन की जांच
– अगर रक्तचाप अलग- अलग दिन में तीन बार मापने पर हर बार कम से कम 150/100 आता है
– चार या अधिक अलग- अलग तरह की दवा खाने पर भी बीपी नियंत्रित नहीं होता है।
– यदि खून की जांच में पोटैशियम का स्तर कम हो
– यदि रक्तचाप के साथ स्लीप एप्निया की भी समस्या हो
– 40 से कम उम्र के वे लोग जिन्हें स्ट्रोक हुआ हो या अनियंत्रित बीपी की समस्या हो।