ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। यह जानना बहुत जरूरी है कि पोषण सुरक्षा का सीधा संबंध देश की खाद्य सुरक्षा से है। भारत ने पिछले 75 सालों में बहुत तरक्क ी की है, लेकिन अब हमें अपनी नीतियों को और भी बेहतर बनाना होगा ताकि हम 2047 तक एक विकसित देश बन सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि 2047 तक हमारा भारत पूरी तरह से विकसित हो और इस सपने को साकार करने के लिए हमें हर क्षेत्र में सुधार करने की जरूरत है, खासकर हमारे खाद्य और पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में। इस क्षेत्र में पूरी सफलता पाने के लिए हमारे सामने अनेक चुनौतियां भी हैं और सफल होने के लिए अवसर भी अनेक हैं।
सबसे बड़ी चुनौतियां हैं
भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां हैं—अपनी सीमाओं की सुरक्षा और देश के लोगों के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करना। सीमा सुरक्षा में हम काफी हद तक सफल रहे हैं, लेकिन चीन जैसी शक्तियों के बढ़ते प्रभाव के कारण हमें अपनी नीतियों को और मजबूत बनाना होगा।
आजादी के समय की स्थिति
अब, शांति और समृद्धि की बात करें तो इसका सीधा संबंध है भूख और गरीबी से मुक्ति से। जब देश आजाद हुआ था, तो 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीबी में जी रहे थे। हालांकि, हरित क्रांति ने हमारे कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद की लेकिन अब समय आ गया है कि हम सिर्फ खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़ें और पोषण सुरक्षा पर ध्यान दें। इस बारे में नीति आयोग ने भी सरकार को अनेक सुझाव दिये हैं ।
पोषण सुरक्षा पर खासा जोर
हाल ही में नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें पोषण सुरक्षा पर खासा जोर दिया गया है। रिपोर्ट बताती है कि आज भी भारत में 35 प्रतिशत बच्चे, जो 5 साल से कम उम्र के हैं, वे बौनेपन के शिकार हैं। यह एक बहुत बड़ी समस्या है, और इसे सिर्फ ज्यादा अनाज उगाकर हल नहीं किया जा सकता। लोग क्या खा रहे हैं और उसमें जरूरी पोषक तत्व मिल रहे हैं या नहीं।
सिर्फ गेहूं और चावल पर निर्भर न रहें
नीति आयोग का कहना है कि हमें एक नई ‘पोषण क्रांति’ की जरूरत है। हमें सिर्फ गेहूं और चावल पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि दालें, मोटे अनाज, फल और सब्जियों को भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इससे न केवल हमारी सेहत सुधरेगी, बल्कि हमारी जमीन, पानी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेंगे।
चीन ने अपने किसानों को पूरा समर्थन दिया
हमारी जानकारी में यह भी रहना चाहिये कि चीन ने 1978 में कृषि सुधार किए, जिससे वहां के किसानों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। चीन ने अपने किसानों को पूरा समर्थन दिया, जिससे उन्होंने न केवल अपने देश के लिए पर्याप्त अनाज उगाया, बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति भी मजबूत की। सरकार को अपने किसानों को भी बेहतर सब्सिडी और समर्थन देना चाहिए, खासकर उन फसलों के लिए जिनमें कम पानी और उर्वरक की जरूरत होती है, जैसे दालें और मोटे अनाज। इससे हमारी मिट्टी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा, और हमारे लोगों को बेहतर पोषण मिलेगा।