नोएडा। यदि आप अपनी बीमा पॉलिसी के सम्बन्ध में किसी समस्या का सामना कर रहे हैं। आपका बीमा प्रदाता आपको संतोषजनक समाधान नहीं दे पा रहा है, तो आप अपनी समस्या के त्वरित और पूर्णतया निशुल्क समाधान हेतु सम्बंधित बीमा लोकपाल के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। बीमा लोकपाल योजना भारत सरकार द्वारा व्यक्तिगत पॉलिसीधारकों के लिए अदालतों की जटिल प्रक्रिया से अलग एक प्रभावी, कुशल और निष्पक्ष तरीके से बीमा धारकों की शिकायतों को निपटाने के लिए बनाई गई है। आप के अपने क्षेत्र का बीमा लोकपाल कार्यालय सेक्टर 15 नोएडा में स्थित है जहां पर इस समय बिम्बाधर प्रधान बीमा लोकपाल के रूप में कार्यरत हैं। पेशे से भूतपूर्व लोक सेवक रहे प्रधान द्वारा अपने फैसलों में बीमा व्यवसाय के वैधानिक पक्षों के साथ मानवीय पक्षों पर भी विशेष ध्यान रखा जाता है और इनके द्वारा जारी निर्णयों में अधिकतर पीड़ित पॉलिसी धारक को समयबद्ध ढंग से समुचित न्याय प्रदान किया जाता है।
बीमा लोकपाल कार्यालय की प्रणाली एवं प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बात करने के लिए कार्यालय के सचिव संजय कुमार राय से बात करने पर उन्होंने इस सम्बन्ध में पॉलिसी धारकों की सामान्य आशंकाओं का बड़े ही सरल शब्दों में प्रश्नों के उत्तर के रूप में जवाब दिया।
प्रश्न – बीमा लोकपाल से कौन संपर्क कर सकता है? शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर – किसी बीमाकर्ता के विरुद्ध शिकायत पॉलिसी धारक स्वयं या उसके कानूनी उत्तराधिकारियों, नामांकित व्यक्ति या समानुदेशी या नियोक्ता द्वारा लिखित प्रतिवेदन दे कर की जा सकती है। शिकायत ई मेल द्वारा अथवा पोर्टल पर भी की जा सकती है।
प्रश्न – बीमा से उत्पन्न किसी भी शिकायत के निवारण के लिए किस बीमा लोकपाल के कार्यालय से संपर्क किया जाना चाहिए?
उत्तर – अपनी समस्या के त्वरित समाधान हेतु उस बीमा लोकपाल कार्यालय को लिखित में शिकायत भेजनी चाहिए जिसके क्षेत्रीय अधिकार में बीमाकर्ता की शाखा या कार्यालय है जिसके विरुद्ध शिकायत की गई है या जहां पर शिकायतकर्ता का आवास या निवास स्थान स्थित है।
प्रश्न – व्यक्तिगत आधार पर बीमा का क्या अर्थ है?
उत्तर – व्यक्तिगत आधार पर बीमा का आशय व्यक्तिगत क्षमता में ली गई या दी गई बीमा पॉलिसी है, उदाहरण के लिए बीमा,व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा, मेडिक्लेम बीमा, व्यक्ति की निजी संपत्ति जैसे मोटर का बीमा या वाहन, घरेलू सामान आदि ।
प्रश्न – वे कौन सी शिकायतें हैं जिन पर बीमा लोकपाल द्वारा विचार किया जाता है
उत्तर – बीमा लोकपाल निम्नलिखित से संबंधित शिकायतें या विवाद प्राप्त करेगा और उन पर विचार करेगा-
भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण एक्ट, 1999 द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर भुगतान न किये गए दावों के बारे में ।
– जीवन बीमाकर्ता, सामान्य बीमाकर्ता या स्वास्थ्य बीमाकर्ता द्वारा दावों की कोई आंशिक या पूर्ण अस्वीकृति
– बीमा पॉलिसी के संदर्भ में भुगतान किए गए या देय प्रीमियम पर कोई विवाद
– पॉलिसी दस्तावेज या पॉलिसी अनुबंध में किसी भी समय पॉलिसी के नियमों और शर्तों की गलत व्याख्या
– दावे से संबंधित बीमा पॉलिसियों एवं इसमें वर्णित शर्तों का कानूनी निर्माण
– बीमाकर्ताओं और उनके एजेंटों और मध्यस्थों के खिलाफ पॉलिसी सेवा संबंधी शिकायतें
– जीवन बीमा पॉलिसी, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी सहित सामान्य बीमा पॉलिसी जारी करना, जो कि प्रस्तावक द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव प्रपत्र के अनुरूप इसमें नहीं है
– जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और सामान्य बीमा में प्रीमियम प्राप्त होने के बाद बीमा पॉलिसी जारी न करना
– बीमा अधिनियम, 1938 के विनियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप कोई अन्य मामला, अथवा बीमा नियामक एवं विकास अथारिटी द्वारा समय-समय पर जारी किए गए परिपत्र, दिशानिर्देश या निर्देश या नियम और शर्तें के उल्लंघन से सम्बंधित मामले
– इसके अतिरिक्त बीमा लोकपाल किसी बीमा पालिसी अनुबंध, जहां तक वे खंड (1 ) से (8 ) में उल्लिखित मुद्दों से संबंधित हैं, पर विचार करने के लिए अधिकृत है ।
प्रश्न- बीमा लोकपाल कार्यालय में शिकायत कैसे दर्ज की जा सकती है?
उत्तर – शिकायत एक सादे कागज पर लिखित रूप में की जा सकती है, जिस पर शिकायतकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताक्षर किए जाने चाहिए और स्पष्ट रूप से नाम और शिकायतकर्ता का पता, बीमाकर्ता की शाखा या कार्यालय का नाम जिसके खिलाफ शिकायत है। साथ ही शिकायत के कारण ,तथ्य, समर्थित दस्तावेज, यदि कोई हो, नुकसान की प्रकृति और सीमा और अंत में शिकायतकर्ता द्वारा बीमा लोकपाल से मांगी गई राहत का उल्लेख होना चाहिये।
प्रश्न – क्या बीमा लोकपाल से संपर्क करने की कोई समय सीमा है?
उत्तर – हां। बीमा लोकपाल के कार्यालय में निम्न परिस्थितियों के पश्चात एक वर्ष की समय सीमा के भीतर शिकायत की जा सकती है। शिकायत की प्रकृति इस प्रकार रहेगी कि यदि बीमाकर्ता द्वारा दावे को अस्वीकार करने का आदेश पारित किया गया है और इस आदेश के विरोध में बीमाकर्ता के शिकायत प्रकोष्ठ में शिकायत की गयी है एवं शिकायत प्रकोष्ठ द्वारा शिकायत में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया है अथवा इस शिकायत को किये जाने के एक माह तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।