ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। हम आपको बता रहे हैं दिल्ली के उन खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने ओलंपिक तक का सफर तय किया और इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया।
मोरी गेट से दरियागंज का फासला तीन-चार किलोमीटर से ज़्यादा नहीं है। यह वही रास्ता है जिसने दो महान खिलाड़ियों को जन्म दिया, जिन्होंने बाद में ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक खेलों के लिए चुनी गई भारतीय हॉकी टीम में माइकल ए. गेटले और दरियागंज के पटौदी हाउस में जन्मे इफ्तिखार अली खान पटौदी सीनियर भी थे।
पटौदी सीनियर, जो बाद में भारत की क्रिकेट टीम के कप्तान भी बने, दरियागंज के पटौदी हाउस में पैदा हुए थे। वहीं एंग्लो इंडियन खिलाड़ी माइकल ए. गेटले कश्मीरी गेट क्षेत्र में पुराने सेंट स्टीफंस कॉलेज के पास रहते थे।
गेटले, 1932 के लास एंजिल्स खेलों में ध्यान चंद के साथी थे। गेटवे और पटौदी सीनियर दिल्ली के पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने ओलंपिक में भाग लिया।
डॉ. करणी सिंह : सेंट स्टीफंस कॉलेज के सबसे नामवर ओलंपिक खिलाड़ी ने 1960 से 1980 तक पांच ओलंपिक खेलों में शूटिंग स्पर्धाओं में भाग लिया। साउथ दिल्ली में तुगलकाबाद से जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी आते-जाते आपको करणी सिंह शूटिंग रेंज मिलेगी, जो किसी खिलाड़ी के नाम वाला राजधानी का पहला स्टेडियम है। इसका निर्माण 1982 के एशियाई खेलों की निशानेबाजी स्पर्धाओं के लिए हुआ था।
रणधीर सिंह : मशहूर खेल प्रशासक रणधीर सिंह ने 1968 से 1984 तक पांच ओलंपिक खेलों में भाग लिया। कमाल के निशानची मनेशर सिंह 2004 और 2008 के ओलिंपिक में शामिल हुए।
रंजीत भाटिया : रोम खेलों में सेंट स्टीफंस कॉलेज के गणित के प्रोफेसर रहे रंजीत भाटिया ने मैराथन दौड़ में हिस्सा लिया था। इसी रोम ओलिंपिक में फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह 400 मीटर की स्पर्धा में पदक पाने से चूक गए थे।
पीयूष कुमार : 2000 के सिडनी ओलिंपिक में सेंट स्टीफंस कॉलेज के पीयूष कुमार ने 4×400 मीटर रिले स्पर्धा में और संदीप सेजवाल ने तैराकी की 100 और 200 मीटर ब्रेस्ट स्टोक स्पर्धाओं में भाग लिया।
नेहा अग्रवाल : 2008 के पेइचिंग ओलंपिक में सेंट स्टीफंस कॉलेज की पूर्व छात्रा और टेबल टेनिस प्लेयर नेहा अग्रवाल ने भाग लिया।