नई दिल्ली। बंबई हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी की एक याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विधवा की दोबारा शादी होने के कारण सड़क हादसे में हुई पहले पति की मौत का हर्जाना देने से इनकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस एसजी दिगे की बेंच ने बीमा कंपनी की अपील पर फैसला सुनाया।
इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
एमएसटी का आदेश था कि 2010 में सड़क हादसे में हुई पहले पति की मौत का मुआवजा पत्नी को दिया जाए जबकि, कंपनी के वकील का कहना था कि मृतक गणेश की पत्नी ने दूसरी शादी की थी, इसलिए वह मुआवजा पाने की हकदार नहीं है। अदालत ने कहा कि यह उम्मीद करना गलत है कि कोई महिला सिर्फ मुआवजा पाने के लिए जीवन भर या जब तक मुआवजा न मिले, तब तक विधवा रहे।
अदालत ने कहा कि पति की मृत्यु के समय महिला 19 साल की थी। महिला की उम्र और उसके पति की सड़क हादसे में मौत हुई, ये मुआवजा देने के लिए पर्याप्त हैं। मई 2010 में महिला का पति गणेश बाइक की पिछली सीट पर बैठकर मुंबई-पुणे हाईवे पर कामशेट की ओर जा रहा था। तभी एक ऑटोरिक्शा ने बाइक को टक्कर मार दी, जिससे गणेश की मौत हो गई। मामले में जस्टिस डिगे ने अपील खारिज करते हुए कहा कि मुझे अपीलकर्ता के वकील के तर्कों में योग्यता नहीं दिखती।