ब्लिट्ज ब्यूरो
चेन्नई। भारत में निर्मित सेमी हाई स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस के 28वें रैक का रंग तिरंगे के भगवा रंग से प्रभावित होगा। इसकी जानकारी रेलवे अधिकारियों की ओर से दी गई है। हालांकि नए रंग की वंदे भारत एक्सप्रेस अब तक चालू नहीं हुई है, लेकिन चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में खड़ी है। दरअसल, यहीं पर वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जाता है।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि वंदे भारत एक्सप्रेस के कुल 25 रैक अपने निर्धारित मार्गों पर परिचालित हो रहे हैं और दो रैक आरक्षित हैं। उन्होंने कहा, हालांकि 28वें रैक का रंग परीक्षण के तौर पर बदला जा रहा है।
रेल मंत्री का दौरा
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री का निरीक्षण किया और दक्षिणी रेलवे में सुरक्षा उपायों और वंदे भारत एक्सप्रेस में सुधार की समीक्षा की। निरीक्षण करने के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वदेशी ट्रेन के 28वें रैक का नया रंग भारतीय तिरंगे से प्रेरित है। उन्होंने यह भी बताया कि वंदे भारत ट्रेनों में कुल 25 सुधार किए गए हैं।
– रेल मंत्री ने दिखाई झलक
नए बदलावों के साथ आ रही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन
अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह मेक इन इंडिया की एक अवधारणा है, भारत में हमारे अपने इंजीनियरों और तकनीशियनों द्वारा इसे डिजाइन किया गया है, इसलिए वंदे भारत के संचालन के दौरान एसी, शौचालय आदि के संबंध में हमें फील्ड इकाइयों से जो भी फीडबैक मिल रहा है, उन सभी बदलावों का उपयोग डिजाइन में बदलाव करने के लिए किया जा रहा है। रेल मंत्री ने कहा, एक नई सुरक्षा सुविधा, ‘एंटी क्लाइंबर्स’ या एंटी-क्लाइंबिंग डिवाइस, जिस पर हम काम कर रहे हैं, उसकी भी समीक्षा की गई। ये सभी वंदे भारत और अन्य ट्रेनों में मानक सुविधाएं होंगी।
भारत की सेमी हाई स्पीड ट्रेन अब देशभर के सभी रेल-विद्युतीकृत राज्यों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है। 50 परिचालन सेवाओं के साथ, वंदे भारत एक्सप्रेस ने रेल यात्रा में क्रांति ला दी है।
2019 में पहली वंदे भारत को दिखाई गई थी हरी झंडी
प्रधानमंत्री ने 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली और वाराणसी के बीच चलने वाली पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई थी। चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में निर्मित ट्रेन ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल की प्रतीक है और भारत के इंजीनियरिंग कौशल को प्रदर्शित करती है। इसे बनाने की परियोजना 2017 के मध्य में शुरू हुई और 18 महीने के भीतर, आईसीएफ चेन्नई ने ट्रेन-18 को पूरा किया। भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन की ‘मेड इन इंडिया’ स्थिति पर जोर देने के लिए जनवरी 2019 में इसका नाम बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया।