विनोद शील
नई दिल्ली। 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब नई संसद हमारे लोकतंत्र का मंदिर है जो योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, इच्छाशक्ति को क्रियाशक्ति से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। दिव्य और भव्य इमारत राष्ट्र की समृद्धि व सामर्थ्य को नई गति-शक्ति देगी। नए संसद भवन पर ये विचार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भव्य इमारत आत्मनिर्भर और विकसित भारत के संकल्पों के सूर्योदय की साझी बनेगी। नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का आदर्श ये नया संसद भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का भी आह्वान करेगा। यह देश के इतिहास का अमिट पल है।
विधि-विधानों से हुई पूजा और सर्वधर्म प्रार्थना सभा के साथ नए संसद भवन के लोकार्पण के बाद औपचारिक उद्घाटन समारोह के लिए नए लोकसभा कक्ष में पहुंचे पीएम मोदी का तालियों की गड़गड़ाहट और मोदी-मोदी के नारे के साथ जोरदार स्वागत हुआ। हवन और मंत्रोच्चार के बीच पीएम मोदी ने नई संसद का उद्घाटन किया। पूजन के बाद तमिलनाडु के मठों से आए अधीनम ने पीएम मोदी को सेंगोल सौंपा। प्रधानमंत्री ने साष्टांग प्रणाम के बाद इसे संसद में अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में स्थापित किया। इस दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला उनके साथ मौजूद थे। सेंगोल स्थापना के बाद पीएम मोदी ने श्रमयोगियों का सम्मान किया, जो संसद के निर्माण में शामिल थे। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के दौरान भारत की जनता को लोकतंत्र के नए मंदिर यानि कि नए संसद भवन का उपहार मिला है।
– 25 वर्ष के अमृत काल खण्ड में बनाएंगे विकसित भारत
– 21 अधीनम का मिला मोदी काे आशीर्वाद, पवित्र सेंगोल की स्थापना
– नई संसद 140 करोड़ लोगों की आशाओं का प्रतिबिम्ब
– खुद को तपाएं, लोकतंत्र को सशक्त बनाएं, भारत लोकतंत्र की जननी
– असली भारत के दर्शन कराता नया संसद भवन
– बोले मोदी- नई संसद बनाई तो 30 हजार नए पंचायत भवन भी बनाए
– जारी हुआ विशेष स्मारक डाक टिकट और 75 रुपये का सिक्का
वस्तुत: हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं जो हमेशा के लिए अमर होकर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाते हैं और 28 मई, 2023 का यह दिन ऐसा ही था। इस मौके पर पीएम मोदी ने एक स्मारक डाक टिकट और 75 रुपये का सिक्क ा भी जारी किया। नए संसद भवन के उद्घाटन के जरिए पीएम मोदी ने कई राजनीतिक संदेश भी दिए। राजनीति के गलियारों में इन संदेशों को लेकर काफी चर्चा भी है। इसे इन बातों से आसानी से समझा जा सकता है। पहला यह कि पुराना संसद भवन अंग्रेजों ने तैयार कराया था जो गुलामी का प्रतीक है। नया संसद भवन स्वदेशी है।
याद हो कि पिछले साल ही पीएम मोदी ने इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया था। पहले इस जगह जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी हुई थी। इसके इतर भी पीएम मोदी ने अंग्रेजों के समय दिए गए कई स्थलों के नाम और प्रतीक चिन्हों को बदल दिया है। अंग्रेजों ने राजपथ को ‘किंग्स वे’ नाम दिया था जिसका हिंदी रूपांतरण कर के ‘राजपथ’ किया गया था पर अब इसे ‘कर्तव्य पथ’ नाम दिया गया है। पीएम का संदेश साफ है। राष्ट्रवाद से बढ़ कर कुछ भी नहीं। दूसरा यह कि नए संसद भवन के माध्यम से पीएम मोदी ने महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को भी साध लिया है। तमिलनाडु के मठों से अधीनम शामिल हुए। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तमिल की विरासत चोल साम्राज्य की परंपरा के अनुसार सेंगोल को अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में स्थापित किया गया। यह तमिलनाडु के लोगों से सीधे जुड़ने की कोशिश है।
इसके साथ ही 28 मई वीर सावरकर की जयंती का दिन है। वीर सावरकर से मराठी जनता जुड़ी हुई है। पीएम मोदी ने वीर सावरकर की जयंती के दिन देश के नए संसद भवन का उद्घाटन कर महाराष्ट्र के लोगों के दिलों का भी जीतने का प्रयास किया है।
नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। मात्र 30 माह के भीतर ही एक खूबसूरत संसद भवन बनकर तैयार हो जाना यही संदेश देता है कि मोदी सरकार ने विकास के जो वादे किए, उन्हें पूरा करके दिखाया है और वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के विकास की नई गाथा लिख रहे हैं। इससे आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उल्लेखनीय बढ़त हासिल हो सकती है। पीएम मोदी ने पिछले नौ साल के अंदर कई विकास योजनाएं शुरू कीं और उसका उद्घाटन भी किया है। पीएम मोदी ने नए संसद भवन के जरिए तमिलनाडु और महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान और उत्तर प्रदेश को भी साथ जोड़े रखा है। उन्होंने कहा कि लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय पुष्प कमल का स्वरूप राज्यसभा में और संसद के प्रांगड़ में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। पत्थर राजस्थान से, लकड़ी महाराष्ट्र से और यूपी के भदोही के कारीगरों ने कालीन बुने। इस तरह भवन के कण-कण में ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना के दर्शन होते हैं।
– नाविक यानी नेवीगेशन विद इंडियन कांस्िटलेशन है
– 2,232 किलोग्राम का यह सैटेलाइट
– यह सैटेलाइट गूगल मैप से कई मायनों में बेहतर
– नाविक पृथ्वी के ऑर्बिट में सात सैटेलाइट का समूह
– अब गूगल मैप और एपल मैप की जरूरत होगी कम
– इस सिस्टम को सिविल एविएशन सेक्टर की जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया
– यह भारत की सीमाओं के बाहर 1500 किमी तक का एरिया करेगा कवर
– भारत के पड़ोसी देशों को जीपीएससिस्टम का फायदा मिलेगा
– आतंकवाद ग्रस्त इलाकों के सर्वे और मानीटरिंग में करेगा सेना की मदद
– नाविक सीरीज में NVS-01 पहला सैटेलाइट जिसमें स्वदेशी रूप से विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी है। परमाणु घड़ी एक सेकेंड के लाखों हिस्सों की गणना करने की क्षमता रखती है ताकि पॉजीशनिंग का आकलन सटीक हो
– एनवीएस-01 उपग्रह एल1, एल5 और एस बैंड में नेविगेशन पेलोड से लैस
सैटेलाइट में 2.4 kW की पावर जनरेट करने की क्षमता
लिथियम-ऑयन बैटरी का सपोर्ट