ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश के कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार ने 1,100 नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन के लिए एक कार्य योजना जारी की है। एफपीओ किसानों द्वारा सामूहिक रूप से बनाई गई संस्थाएं हैं जो उन्हें संसाधनों को एकत्रित करने और अपनी उपज और मुनाफे में सुधार करने में सक्षम बनाती हैं। यह योजना केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा आयोजित एक दिवसीय मेगा कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र के दौरान जारी की गई।
गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ”इतने बड़े देश में, जहां करीब 65 करोड़ लोग खेती-किसानी से जुड़े हैं, वहां सहकारी आंदोलन को पुनर्जीवित करना, उसका आधुनिकीकरण करना, उसमें पारदर्शिता लाना और नई ऊंचाइयां हासिल करने का लक्ष्य रखना बहुत जरूरी हो गया है। शाह ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सहकारिता आंदोलनों से ही हर व्यक्ति को समृद्ध बनाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी के पास पूंजी है या नहीं, लेकिन अगर किसी के पास कड़ी मेहनत करने का साहस और जुनून है और खुद को आगे बढ़ाने की क्षमता है, तो सहकारी आंदोलन उन लोगों को समृद्ध बनाने का एक बड़ा माध्यम है जिनके पास पूंजी की कमी है।”
शाह के अनुसार, मोदी सरकार ने पैक्स के माध्यम से बनाए गए एफपीओ के लिए उत्पादन से लेकर उत्पादों के विपणन तक हर स्तर पर समर्थन देने के लिए पर्याप्त पहल की है। शाह ने कहा कि इन एफपीओ में किसानों को समृद्ध बनाने की सबसे अधिक क्षमता है और सभी संबद्ध मंत्रालय पैक्स, एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से तीन-आयामी ग्रामीण विकास और समृद्धि के मंत्र के साथ मिलकर काम करेंगे। मंत्री ने कहा, हमें देश के सीमांत किसानों को समृद्ध बनाने के लिए समय के साथ पारंपरिक तरीकों से हटकर कृषि के आधुनिक तरीकों को अपनाना होगा और पीएसी का एफपीओ इसकी शुरुआत है। इस पहल में कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन पर आधारित आर्थिक गतिविधियां शामिल हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा, ये तीन क्षेत्र आज भारत की जीडीपी का 18 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं, इन्हें बढ़ावा देने का मतलब देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।