दीप्सी द्विवेदी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट में इस कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि ज्ञानवापी और मथुरा मामले में यथा स्थिति को बदलने की कोशिश की जा रही है। इसमें कोर्ट ने केंद्र को तीन महीने में जवाब दाखिल करने को कहा है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला विचाराधीन है और सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय चाहिए।
क्या कहता है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 : 1991 में लागू किया गया यह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। यदि कोई इस एक्ट का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे जुर्माना और तीन साल तक की जेल भी हो सकती है। यह कानून तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार 1991 में लेकर आई थी। कानून तब आया जब बाबरी मस्जिद और अयोध्या का मुद्दा बेहद गर्म था।