ब्लिट्ज ब्यूरो
न्यूयॉर्क । कैंसर के कारण गई आवाज के लौटने का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया था। पहली बार किसी कैंसर मरीज के सफल ‘लैरिंक्स (वॉयस बाक्स या स्वरयंत्र) प्रत्यारोपण से आवाज लौटाने का मामला सामने आया है। मैसाचुसेट्स निवासी 59 वर्षीय माटी केडियन दुनिया के पहले ऐसे कैंसर मरीज हैं जिनका सफल लैरिंक्स प्रत्यारोपण हुआ है।
सर्जरी के चार माह बाद बोले
उनकी आवाज 11 साल पहले कैंसर के कारण खत्म हो गई थी। बीते फरवरी माह में डॉक्टरों ने फिनिक्स में 21 घंटे की सफल प्रक्रिया के दौरान कैंसर के कारण निकाले गए लैरिंक्स की जगह नया लैरिंक्स लगाया गया। सर्जरी के चार माह बाद केडियन खुद सांस लेने में सक्षम हैं, उनके पास नई आवाज है, वे भोजन को निगल सकते हैं।
– कैडिवन का वॉयस बॉक्स कैंसर से हो गया था खराब
बोलने, सांस लेने, भोजन को निगलने में थी परेशानी
मेरिकी कैंसर सोसाइटी के अनुसार, इस साल लैरिंक्स कैंसर से पीड़ित 12,600 लोगों की पहचान हुई है। केडियन दुर्लभ कैंसर कॉन्ड्रोसाकोंमा (लैरिंगियल कैंसर) से पीड़ित है, प्रत्यारोपण से पहले वे न तो सांस लेने में सक्षम थे और नहीं बोल सकते थे। उन्हें भोजन को भी निगलने में परेशानी थी। उन्होंने इसके लिए दर्जनों सर्जरी करवाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कई साल पहले केडियन का ट्रैकियोस्टॉमी किया गया जिसके तहत सांस लेने के लिए उनके गले में छेद किया गया। जब उन्होंने निराश हो संकेत दिया कि आवाज के चले जाने से उनकी जिंदगी बेकार हो गई है तब डॉक्टरों ने लैरिंक्स ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया।
क्या है लैरिंक्स का काम
यह गले का वो हिस्सा है जिसमें वोकल कॉर्ड होता है और जिसका इस्तेमाल सांस लेने, बोलने के अलावा पानी या भोजन निगलने तक के लिए करते हैं। इसे वॉयस बॉक्स भी कहा जाता है। अक्सर गला बैठ जाना, गले में घरघराहट, लैरिंक्स (वॉयस बॉक्स) पर सूजन आ जाना आदि लैरिक्स कैंसर के लक्षण हैं।
भारत में इस कैंसर का उपचार संभव
रोग की प्रथम व द्वितीय स्टेज में रेडियोथेरेपी की मदद से उपचार संभव है। तीसरी एवं एडवांस स्टेज के लैरिंक्स कैंसर में आपरेशन करके मरीज का वॉयस बॉक्स निकाल दिया जाता है। इसके बाद रेडियोथेरेपी दी जाती है। फिर गले में एक इंच व्यास का छेद कर दिया जाता है। वह सीधा फेफड़ों से जुड़ा होता है। मरीज इससे सांस लेता है। धूल-मिट्टी से बचाने के लिए उन्हें नेकटाइ का इस्तेमाल करना पड़ता है।