विनोद शील
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के सातवें दिन 2 जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से जुड़े धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए अलग ही अंदाज में नजर आए। उन्होंने एक-एक कर के जिस तरह नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की बातों का जवाब दिया, उसको देख कर यह कहना गलत न होगा कि सरकार तो नई है पर उसके तेवर वही पुराने वाले हैं जब पीएम मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में अपनी भारतीय जनता पार्टी की बहुमत वाली एनडीए गठबंधन की सरकार के मुखिया थे। ज्ञात हो कि इस बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार नहीं है। उसने गठबंधन के साथी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई है। इसके अलावा इस बार विपक्षी गठबंधन का संख्या बल भी पहले की अपेक्षा बेहतर है। पीएम मोदी ने अपने जवाब के दौरान कभी फिल्म ‘शोले’ तो कभी किसी कहानी के माध्यम से विपक्ष के नेता का नाम लिए बिना कांग्रेस और उसकी सोच तथा विपक्ष पर तीखे तंज कसे।
पीएम मोदी सदन में जैसे ही बोलने के लिए खड़े हुए, विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। कुछ देर पीएम ने अपनी बात रखी लेकिन विपक्ष ने फिर से जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। ऐसे में कुछ सेकेंड के लिए पीएम मोदी ने अपना भाषण रोक दिया और सीट पर बैठ गए। पीएम के संबोधन के बीच विपक्षी सांसद वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने नाराजगी जताई और विपक्षी सांसदों को फटकार भी लगाई। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कहा कि आपको 90 मिनट बोलने का मौका दिया। आप इतनी बड़ी पार्टी लेकर चल रहे हो, ऐसा नहीं चलता है। पांच साल ऐसे ही नहीं चलेगा। विपक्ष के इस हंगामे से संभवत: यह संदेश भी गया कि वह अपने संख्या बल का समुचित प्रयोग करने में चूक गया। विपक्ष मतदाताओं को यह संदेश देने में विफल हो गया कि वह अगले चुनावों में सत्ता का हकदार भी बन सकता है क्योंकि जब विपक्ष बोला तो उसे इस तरह के माहौल का सामना नहीं करना पड़ा पर पीएम के वक्तव्य के समय विपक्ष सिर्फ शोरशराबा ही करता रहा एवं कंस्ट्रक्टिव छवि बनाने में विफल रहा। राज्यसभा में भी पीएम मोदी के 1 घंटा 50 मिनट के भाषण के दौरान विपक्ष नारेबाजी और शोर-शराबा करता रहा जिसे संविधान सम्मत और लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुरूप नहीं कहा जा सकता। पीएम मोदी जब 32 मिनट बोल चुके थे, तब विपक्ष के नेताओं ने सदन से वॉकआउट किया जबकि संवैधानिक परंपराओं के अनुरूप सत्तापक्ष ने विपक्ष की सभी बातों को शांतिपूर्वक सुना। इस पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ बोले- ये लोग मुझे नहीं, संविधान को पीठ दिखा रहे हैं। पीएम ने कहा- कल लोकसभा में विपक्ष की सारी हरकतें फेल हो गईं ं, इसलिए वे मैदान छोड़कर भाग गए। नारे लगाना, चिल्लाना और भाग जाना, यही उनकी नियति है। ऐसे लोग हाथ में संविधान की कॉपी लेकर अपने काले कारनामे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
मोदी बोले – जनता ने लगातार तीसरी बार चुना और सेवा का मौका दिया
पीएम बोले- आपातकाल एक राजनीतिक संकट नहीं था बल्िक लोकतंत्र व संविधान के साथ भी एक मानवीय संकट था। अनेक लोगों की मौत हुई। जय प्रकाश नारायण की हालत ऐसी थी कि वे जेल से आकर कभी ठीक नहीं हो पाए। वो दिन ऐसे थे, जो कुछ लोग घर से निकले वे लौटकर नहीं आए। उनके शव तक नहीं मिले। इस कालखंड में कांग्रेस द्वारा संविधान की धज्जियां उड़ा दी गई थीं।
पीएम मोदी ने कहा कि मैंने दो दिन में कई वरिष्ठ नेताओं की बात सुनी, पूरे देश को निराशा हुई। कहा गया कि ये पहला चुनाव था जिसमें संविधान की रक्षा का मुद्दा था। क्या आप 1977 का चुनाव भूल गए? तब अखबार, रेडियो बंद थे और देश ने संविधान की रक्षा के लिए वोट दिया था और कांग्रेस को माफ नहीं किया था।
आपातकाल को मैंने करीब से देखा है, लोगों को प्रताड़ित किया गया। लोकसभा का कार्यकाल 5 साल है, लेकिन तब 7 साल चलाया गया। यह कौन सा संविधान है। दर्जनों आर्टिकल यानी संविधान की आत्मा को छिन्न-भिन्न करने का काम इन लोगों ने उस काल खंड में किया। विपक्ष के मुंह से संविधान की रक्षा शब्द अच्छा नहीं लगता। मोदी ने कहा, जम्मू-कश्मीर में मतदान के आंकड़ों ने पिछले 4 दशक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। यह भारत के संविधान और लोकतंत्र की जीत है। इस बार लोगों ने संविधान पर विश्वास जताकर अपने भाग्य का फैसला लिया है। – विस्तृत खबर देखें – https://hindi.blitzindiamedia.com/