नई दिल्ली। भारत ने दुनिया को यह साफ कर दिया है किसी भी प्रकार का आतंकवाद अथवा किसी के भी द्वारा आतंकवाद का पोषण उसे स्वीकार नहीं है। साथ ही भारत ने जी20 की बैठक श्रीनगर (कश्मीर) में किए जाने की घोषणा करके भी विश्व के 20 शक्तिशाली देशों समेत वैश्विक स्तर पर यह संदेश भी दे दिया है कि पूरा कश्मीर भारत का था, है और सदैव भारत का अभिन्न अंग रहेगा। इस बात की पुष्टि अभी भारत में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भी हो गई।
भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने जिस प्रकार से संकेतों में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ जो ‘शिष्टाचार’ निभाया, उसने बिना कुछ कहे ही सारी दुनिया को सब कुछ कह दिया। जयशंकर के हाव-भाव ने पाकिस्तान समेत संपूर्ण विश्व में तहलका सा मचा दिया है और पाकिस्तान का विपक्ष बिलावल की यात्रा पर उन्हें ताने पर ताने मार रहा है। ज्ञात हो कि बिलावल भुट्टो की विदेश मंत्री के रूप में की गई यह भारत यात्रा गत 12 वर्षों में किसी पाकिस्तानी मंत्री की पहली यात्रा है।
दरअसल एससीओ विदेश मंत्रियों के समिट में एस जयशंकर का भुट्टो कोे दूर से नमस्ते करना सुर्खियों में छा गया। जयशंकर ने यह जरूर कहा कि उन्होंने भुट्टो के साथ भी दूसरे प्रतिनिधियों जैसा ही व्यवहार किया लेकिन तस्वीरों में उनकी बेरुखी साफ झलक रही थी। बैठक से पहले जयशंकर ने विदेश मंत्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। बिलावल हाथ जोड़कर मंच पर चढ़े थे लेकिन जयशंकर ने दूर से ही नमस्ते किया। इस बेरुखी ने साफ कर दिया था कि भुट्टो से उनका दिल नहीं मिलने वाला है। भुट्टो ने मीडिया से कश्मीर मुद्दे से लेकर जी20 और बीबीसी डॉक्यूमेंट्री तक सब पर बात की जिनका जवाब जयशंकर ने दिया। संकेतों में जयशंकर ने साफ कर दिया भुट्टो के आने से भारत को बहुत खुशी नहीं हुई। बिलावल को बैठक में सिर्फ विदेश मंत्री की हैसियत से बुलाया गया था। अगर उनका मेहमान अच्छा है तो वह भी बेहतरीन मेजबान हैं। भुट्टो के जी20 संबंधी बयान पर पाक का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि जी20 के बारे में हमें किसी से चर्चा करने की जरूरत नहीं, खासतौर से उस देश से जिसका जी20 से लेना-देना नहीं है। बिलावल को इस बारे में बात करनी चाहिए कि वे जम्मू कश्मीर (गुलाम कश्मीर) से अवैध कब्जे को कब खाली कर रहे हैं।
भारत ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा
मीटिंग में जयशंकर ने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए पाक को निशाने पर लिया और कहा कि किसी भी तरह से आतंकवाद को सही नहीं ठहराया जा सकता। इसमें सीमा पार से आतंकवाद समेत सभी तरह के आतंकवाद शामिल हैं। टेरर फंडिंग पर भी लगाम की जरूरत है। बैठक का मूल उद्देश्य आतंकवाद से मुकाबला ही है। वे यह भी कहना चाहेंगे कि पाक की विश्वसनीयता उसके फॉरेक्स रिजर्व से ज्यादा तेजी से गिर रही है। भारत पहले भी लगातार कहता रहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत ने एससीओ व जी 20 के जरिये द्विपक्षीय संबंधों पर चीन और पाक के पेंच कसने का प्रयोग अत्यंत कूटनीतिक तरीके से किया और ‘दोस्त’ रूस को इससे संदेश भी चला गया। इस प्रकार भारत ने एक तीर से तीन निशाने साधे। चीन से सीमा विवाद पर भी भारत सरकार का मजबूत रुख शंघाई सहयोग सम्मेलन में तब नजर आया, जब जयशंकर ने चीनी समकक्ष चिन गांग को यह संदेश दिया कि भारत के साथ चीन के द्विपक्षीय रिश्ते तभी सुधरेंगे, जब एलएसी पर पैदा की गई स्थिति पूरी तरह से खत्म होगी।
रक्षा मंत्री ने भी अपनाया था सख्त रुख
बीते हफ्ते भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी चीनी समकक्ष ली शांगफू के साथ एससीओ की एक अन्य बैठक में चीन को सीमा पर शांति समझौते के उल्लंघन पर दो टूक शब्दों में कहा था कि चीन के सीमा पर शांति समझौते के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को नष्ट कर दिया है।
इस बीच चीन और पाक के कड़े विरोध को अनदेखा कर भारत ने 22 से 24 मई तक श्रीनगर में जी20 देशों की पर्यटन के लिए कार्यसमिति की बैठक बुलाई है। वस्तुत: श्रीनगर को स्थान के रूप में चुनकर पाक और चीन को झटका दिया है। केंद्र सरकार का मानना है कि कार्यक्रम यह संदेश देने में सक्षम होगा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद स्थिति सामान्य हो गई है।
पाक ने आयोजन स्थल को बदलने के लिए सऊदी अरब, तुर्की और चीन जैसे देशों के साथ परामर्श किया लेकिन असफल रहा। इससे पहले चीन ने अरुणाचल प्रदेश में जी20 आयोजन स्थलों के खिलाफ भी अपना पक्ष रखा था। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि चीन श्रीनगर में होने वाली बैठक का बहिष्कार कर सकता है। भारत की स्थिति यह है कि अरुणाचल और जम्मू-कश्मीर अभिन्न अंग हैं और देश के 20 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में जी20 की बैठकें किया जाना तय किया गया है।
अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए एससीओ की अहमियत चीन के लिए भी बहुत है। चीन की पूरी कोशिश है कि भारत और पाकिस्तान का तनाव एससीओ में सामने न आए। चीन का बार-बार ये कहना उसकी चिंता को ही दर्शाता है कि अगर देशों के अंदरूनी झगड़े सामने आए तो एससीओ टूट जाएगा। चीन हाल के दशकों में बड़ी शक्ति बना है और एससीओ का मजबूत होना चीन के लिए बहुत महत्व रखता है। इधर भारत के लिए भी एससीओ बहुत अहम है क्योंकि एससीओ के जरिए वह चीन और पाकिस्तान पर अंकुश लगाने के साथ-साथ एशिया क्षेत्र में अग्रणी भूमिका अदा करने की अपनी मंशा को परवान चढ़ा सकता है। इसमें उसे अपने पुराने साथी और एससीओ के सह-संस्थापक रूस से भी मदद मिल सकती है।
आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे : मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी का यह कथन भी स्मरण करने योग्य है कि दशकों से विभिन्न नामों और रूपों में आतंकवाद ने भारत को चोट पहुंचाने की कोशिश की है। इस वजह से देश ने हजारों कीमती जीवन खो दिए लेकिन इसके बावजूद देश ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया। मोदी ने कहा कि भारत तब तक चैन से नहीं बैठेगा जब तक आतंकवाद को जड़ से उखाड़ कर फेंक नहीं दिया जाता।