ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। लगातार तीसरी बार देश की कमान संभाल चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से यह स्पष्ट कर दिया है कि गृह, विदेश, वित्त, रक्षा, रेल तथा सड़क आदि प्रमुख मंत्रालय बीजेपी के पास ही रहेंगे; उससे यह साफ हो गया है कि सरकार केंद्र में किस तरह चलेगी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कई मंत्रियों के विभागों को दोहराया गया है जबकि कुछ के मंत्रालय बदले गए हैं। सरकार के गठन के बाद जिस तरह से मोदी मंत्रिमंडल बैठकें कर रहा है, उससे स्पष्ट है कि भारत का रथ विकास के पथ पर टॉप गियर में निकल पड़ा और अब यह रुकने वाला नहीं है।
विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट भी इस तथ्य का समर्थन कर रही है जो कहती है कि ग्रोथ अनुमान से अधिक रहेगी। पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनते ही इकॉनमी के मोर्चे पर यह अच्छी खबर आई है। विश्व बैंक ने कहा कि भारत अगले तीन वर्षों में 6.7 प्रतिशत की स्थिर वृद्धि दर्ज करते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
बीजेपी का दबदबा कायम
इस बीच मोदी 3.0 कैबिनेट में शामिल कुल कैबिनेट मंत्रियों में 25 बीजेपी के हैं। 5 मंत्री पद सहयोगी पार्टियों को दिए गए हैं। स्वतंत्र प्रभार के साथ 5 सांसदों को राज्य मंत्री बनाया गया है। बाकी बचे मंत्रालय फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पास रखे हैं।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मीडिया में कुछ खबरें ऐसी आई थीं कि बीजेपी के सहयोगी दल हर तीन सांसद पर एक मंत्री पद मांग रहे हैं लेकिन शपथ ग्रहण के बाद यह साफ नजर आया है कि ऐसे किसी फार्मूले पर विचार नहीं हुआ है। एनडीए में बीजेपी के बाद सबसे बड़े दो दलों, टीडीपी और जेडीयू को कैबिनेट में केवल दो-दो बर्थ ही अभी मिली हैं। हालांकि कैबिनेट विस्तार की गुंजाइश अभी भी बनी हुई है। मोदी कैबिनेट में अभी तक 71 मंत्रियों को शामिल किया गया है। नियमों के मुताबिक कैबिनेट में अधिकतम 81 मंत्री ही रह सकते हैं। मंत्रिमंडल में अभी भी 8-9 सीटें खाली हैं।
दक्षिण के लिए मिशन बीजेपी
दक्षिण भारत में बीजेपी निरंतर अपना प्रभाव कायम करने के प्रयास कर रही है पर उसे इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही थी। इस बार वामपंथ के गढ़ केरल में बीजेपी को जहां पहली बार कोई सीट जीतने में सफलता मिली, वहीं कर्नाटक में उसकी सीटें 25 से घटकर 17 रह गईं जबकि तेलंगाना में सीटों की संख्या चार से बढ़कर आठ हो गईं। बीजेपी के लिए अभी भी सबसे बड़ी चिंता का विषय दक्षिण का सबसे बड़ा राज्य तमिलनाडु बना हुआ है जहां उसे कोई भी सफलता नहीं मिल पा रही है फिर भी बीजेपी ने दक्षिण भारत को कैबिनेट में भरपूर स्थान देते हुए केरल से दो, तमिलनाडु से दो, तेलंगाना से दो, आंध्र प्रदेश से एक और कर्नाटक से चार लोगों को कैबिनेट में जगह दी है।
विश्व को दिया ‘पड़ोसी पहले’ का संदेश
मोदी कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह में सात देशों के शासनाध्यक्ष मौजूद थे। इस तरह से मोदी ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा संदेश देने का प्रयास भी किया कि नई सरकार में पूर्व की तरह विदेशी मोर्चे पर ‘पड़ोसी पहले’ की नीति जारी रहेगी। इसके साथ ही नई समुद्र नीति अपनाई जाएगी। शपथ ग्रहण समारोह में श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, मॉरीशस, सेशेल्स, नेपाल और भूटान के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया गया था। इनमें से पांच हिंद महासागर क्षेत्र के देश हैं, तो नेपाल और भूटान अहम पड़ोसी। पहले शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों को आमंत्रित किया गया था, वहीं दूसरे कार्यकाल में पाकिस्तान और चीन को छोड़ सभी पड़ोसी देशों के अलावा थाईलैंड और किर्गिस्तान को भी निमंत्रित किया गया था।
मुसलमान मंत्रिमंडल में नहीं
यह बात गौर करने की है कि इस बार मोदी की कैबिनेट में पांच अल्पसंख्यकों को तो स्थान दिया गया है पर इन पांच में कोई मुस्लिम नहीं है जबकि यह देश की करीब 20 फीसदी आबादी है। बीजेपी और उसे समर्थन दे रहे दलों से भी कोई मुसलमान उम्मीदवार लोकसभा चुनाव नहीं जीता है।
जातीय संरचना पर ध्यान
बीजेपी ने जातीय गणित का भी इस बार ख्याल रखा है। कैबिनेट में सामान्य वर्ग से 28 सदस्य हैं। इनमें आठ ब्राह्मण और तीन राजपूत हैं। इनके अलावा भूमिहार, यादव, जाट, कुर्मी, मराठा, वोक्क ालिगा समुदाय से भी दो-दो मंत्री बनाए गए हैं। सिख समुदाय के दो लोगों को तो कर्नाटक के लिंगायत समुदाय के साथ-साथ निषाद, लोध और महादलित वर्ग के एक-एक व्यक्ति को भी मंत्री पद मिला है। बंगाल के प्रभावशाली मतुआ समाज को भी शामिल किया गया है। इनके अलावा अहीर, गुर्जर, खटीक, बनिया वर्ग को भी एक-एक सीट मिली है। सवर्ण वर्ग को भी प्रमुखता दी गई है।
मोदी मंत्रिमंडल में महिलाएं
इस बार के चुनाव में 74 महिलाएं जीतकर संसद पहुंची हैं। सबसे अधिक 31 महिलाएं बीजेपी के टिकट पर जीती हैं। मोदी कैबिनेट में सात महिलाओं को मंत्री बनाया गया है। ये हैं निर्मला सीतारमण, अन्नपूर्णा देवी, रक्षा खड़से, सावित्री ठाकुर, अनुप्रिया पटेल, नीमूबेन बमभानिया और शोभा करंदलाजे।
बीजेपी को मिल सकता है नया अध्यक्ष
पीएम मोदी की नई कैबिनेट ने बीजेपी संगठन में बदलाव का संकेत भी दिया है। इस बार बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को कैबिनेट में जगह दी गई है। बीजेपी ऐसी पार्टी है जिसमें एक व्यक्ति एक पद की नीति अपनाई जाती है। इससे साफ है कि बीजेपी को नया अध्यक्ष मिलना लगभग तय है। इससे पहले 2014 में राजनाथ सिंह बीजेपी अध्यक्ष थे। उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिली थी। इसके बाद अमित शाह अध्यक्ष बनाए गए। वहीं 2019 में अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष थे। वो मोदी 2.0 में कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद जेपी नड्डा को बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।