नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कुछ देश क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म को नीतियों में जगह देते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। आतंकवाद क्षेत्र की शांति के लिए खतरा है। ऐसे मामलों में दोहरे मापदंड नहीं रखने चाहिए। हमें आतंकवाद से मिलकर लड़ना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने शंघाई कोऑपरेशन समिट (एससीओ) के वर्चुअल समिट की मेजबानी करते हुए कहा कि हम एससीओ को अपना परिवार मानते हैं। पहली बार एससीओ मिलेट फूड फेस्टिवल, फिल्म फेस्टिवल, क्राफ्ट मेला, थिंक टैंक कॉन्फ्रेंस जैसी चीजें हुई हैं। एससीओ का विशेष कार्यक्रम वाराणसी में आयोजित हुआ।
पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ देशों के युवाओं की प्रतिभा को उजागर करने के लिए हमने कई कार्यक्रम किए हैं। उन्होंने संबोधन में कहा कि अफगानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं एससीओ के दूसरे मेंबर्स की तरह ही हैं। अफगान नागरिकों को मानवीय समानता, महिलाओं-बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित करना हमारी साझा प्राथमिकता है। एससीओ के वर्चुअल समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन शामिल हुए।
इस अवसर पर पीएम मोदी ने ईरान के स्थायी सदस्य के रूप में एससीओ में शामिल होने की घोषणा भी की।
भारत के लिए क्यों जरूरी एससीओ
एससीओ भारत को आतंकवाद से लड़ाई और सिक्योरिटी से जुड़े मुद्दे पर अपनी बात मजबूती से रखने के लिए मजबूत मंच उपलब्ध कराता है। एससीओ को लेकर भारत की तीन प्रमुख पॉलिसी हैं-
■रूस से मजबूत रिश्ते बनाए रखना
■पड़ोसी देशों, चीन और पाकिस्तान के दबदबे पर लगाम और जवाब देना
■सेंट्रल एशिया के 4 देशों- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से आर्थिक संबंध मजबूत करना है
इन देशों के साथ कनेक्टिविटी की कमी और चीन के इस इलाके में दबदबे की वजह से भारत के लिए ऐसा करने में मुश्किलें आती रही हैं।