आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। राम मंदिर निर्माण को लेकर कई कहानियां सामने आ रही हैं। झारखंड की 85 वर्षीय बुजुर्ग सरस्वती देवी ने बीते 31 साल से मौन व्रत लिया हुआ है। सरस्वती देवी के परिवारवालों का कहना है कि 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद से ही वे मौन हो गई थीं। उन्होंने प्रण लिया था कि वे तभी मौन व्रत तोड़ेंगी, जब राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। सरस्वती देवी धनबाद की रहने वाली हैं। वे परिवार के साथ राम मंदिर का उद्घाटन देखने अयोध्या रवाना हो चुकी हैं।
ज्यादातर वक्त साधना में लीन
सरस्वती देवी ज्यादातर वक्त साधना में लीन रहती हैं। परिजन बताते हैं कि महंत नृत्य गोपाल दास की प्रेरणा से उन्होंने मौन व्रत रखा। सरस्वती देवी के परिजन बताते हैं कि अयोध्या में वे मौनी माता के नाम से मशहूर हैं। हम लोगों से वे इशारों में बात करती हैं। कोई कठिन बात कहनी हो तो लिखकर बताती हैं। परिवारवालों ने ये भी बताया कि 1992 से 2020 तक वे दोपहर में एक घंटा बोलती थीं। जिस दिन (5 अगस्त 2020) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी, तब से वे पूरी तरह मौन हैं। सरस्वती देवी के इलाके में रहने वाले हरेराम ने बताया- 8 जनवरी की रात को वे धनबाद से गंगा-सतलुज एक्सप्रेस से अयोध्या निकल चुकी हैं। 22 जनवरी को वे मौन व्रत तोड़ेंगी।