ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। नीट पास कर एमबीबीएस करना चाह रहे स्टूडेंट्स के लिए निराशा भरी खबर है। महाराष्ट्र सरकार की इस साल 10 नए मेडिकल कॉलेज शुरू करने और 1000 नई एमबीबीएस सीटों पर एडमिशन लेने की योजना का पूरा होना मुश्किल है। पिछले दिनों राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद सभी 10 मेडिकल कॉलेजों को खोलने को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
करना पड़ सकता है एक साल इंतजार
आपको बता दें कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ही देश में मेडिकल एजुकेशन के मानक तय करती है और वहीं मेडिकल कॉलेजों को खोलने व उनकी सीटों को लेकर हरी झंडी दिखाती है। 10 प्रस्तावित मेडिकल कॉलेजों में से, जीटी अस्पताल फोर्ट समेत तीन या चार को ही हरी झंडी मिल सकती है। अन्य मेडिकल कॉलेजों को कम से कम एक साल इंतजार करना पड़ सकता है।
कॉलेजों में फैकल्टी व इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
खबर के मुताबिक मेडिकल एजुकेशन की निगरानी करने वाली संस्था एनएमसी ने निरीक्षण के दौरान ज्यादातर मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी व इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, साजोसामान का अभाव पाया। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि सभी मेडिकल कॉलेज इस साल एनएमसी के मानकों पर बमुश्किल ही खरा उतर पाएं। मेडिकल कॉलेजों को जल्द पत्र मिलने की उम्मीद है। मेडिकल कॉलेज योजना के अनुसार शुरू किए जा सकते हैं, उन्हें सुधार करना होगा और फिर से मान्यता के लिए आवेदन करना होगा, ये सभी लेटर मिलने के बाद ही साफ हो सकेगी।
अस्वीकृति के शुरुआती संकेत दे दिए गए
एक प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के डीन ने कहा कि पिछले वीडियो कॉलिंग के दौरान अस्वीकृति के शुरुआती संकेत दे दिए गए थे। उन्होंने कहा, एनएमसी ने पाया कि केवल एक संस्थान में डीन की भर्ती की गई है, शिक्षकों की नियुक्ति अभी बाकी है। कई कॉलेजों में इमारतें, फैकल्टी, हॉस्टल, किताबों के साथ लाइब्रेरी, फर्नीचर और डिवाइसेज की कमी थी। उदाहरण के लिए एनएमसी टीम ने अंबरनाथ कॉलेज के बारे में संदेह जताया है जिसने न्यूनतम बिस्तर क्षमता की आवश्यकता को पूरा करने के लिए चार अस्पतालों को जोड़ा गया है। हालांकि कॉलेज की इमारत पूरी होने तक यह एक अस्थायी व्यवस्था है, लेकिन एनएमसी ने इसे अव्यावहारिक पाया।
एनएमसी बेसिक अटेंडेंस ट्रैकिंग सिस्टम की कमी से भी खुश नहीं था
नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य डीन ने कहा, “एनएमसी को लगा कि अधिकांश कॉलेजों में बुनियादी सुविधाएं गायब हैं।” उन्होंने कहा कि एनएमसी बेसिक अटेंडेंस ट्रैकिंग सिस्टम की कमी से भी खुश नहीं था। डीन ने कहा, “कई कॉलेजों में बायोमेट्रिक्स इंस्टाल नहीं थे।”