ब्लिट्ज ब्यूरो
इटानगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के बैसाखी में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी सेला टनल राष्ट्र को समर्पित की। यह इतनी ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन टनल है। चीन सीमा से लगी इस टनल की लंबाई 1.5 किलोमीटर है। पीएम ने इसके अलावा 55 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण-शिलान्यास किया।
टनल बनने से आम लोगों के अलावा सेना को भी इससे फायदा होगा। टनल चीन बॉर्डर से लगे तवांग को हर मौसम में रोड कनेक्टिविटी देगी। बारिश, बर्फबारी के दौरान यह इलाका देश के बाकी हिस्सों से महीनों कटा रहता था। प्रधानमंत्री ने कहा, पूरे देश में विकसित राज्य से विकसित भारत का राष्ट्रीय उत्सव तेज गति से जारी है। हमने जो काम 5 साल में किए कांग्रेस को उसे करने में 20 साल लगते। पूरा नॉर्थ ईस्ट देख रहा है कि मोदी की गारंटी कैसे काम कर रही है। पीएम ने कहा, मैं परियोजनाओं की आधारशिला चुनाव के लिए नहीं रखता, पूरा भी करता हूं। 2019 में मुझे सेला टनल का शिलान्यास करने का अवसर मिला था। आज इसका लोकार्पण हुआ है। 2019 में ही डोनी पोलो एयरपोर्ट का भी मैंने शिलान्यास किया था। आज ये एयरपोर्ट शानदार सेवाएं दे रहा है।
होने वाले फायदे
– एलएसी की दूरी 10 किमी तक कम होगी।
– तवांग और दिरांग के बीच की दूरी 12 किमी कम होगी
– इससे डेढ़ घंटे के समय की भी बचत होगी
सेल सुरंग के बारे में
– सेला सुरंग परियोजना एक इंजीनियरिंग का चमत्कार है
– यह सभी मौसम में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी
– इसमें ऑस्टि्रयाई टनलिंग पद्धति का उपयोग किया गया है
परियोजना के बारे में
– सुरंग परियाेजना की कुल लंबाई 11.84 किमी है
– इसमें टनल और सड़कें शामिल हैं, सुरंग के दो मुख्य हिस्से हैं।
– टनल-1 की लंबाई 1 किमी, टनल -2 की लंबाई 1.5 किमी है
सामरिक अहमियत भी
– अरुणाचल प्रदेश में सेला दर्रा 317 किमी लंबी बालीपारा-चाहरद्वार-तवांग सड़क पर है
– यह सड़क तवांग सेक्टर में एलएसी तक पहुंचने का एक मात्र रास्ता है
– हर मौसम में खुल रहेगी जिससे भारतीय सेना को सहूलियत होगी