नीलोत्पल आचार्य
आप जानते हैं, सैम पित्रोदा कौन हैं? और भारतीय राजनीति में इनकी हैसियत क्या है? लगता है सैम पित्रोदा सचमुच सठिया गए हैं और ऊल- जुलूल बातें करके भारत में किसी भी तरह अपना नाम चर्चा में बनाये रखना चाहते हैं।
कांग्रेस पार्टी ने इनसे इण्डियन ओवरसीज कांग्रेस की अध्यक्षता छीन ली, यानी जबरन इस्तीफा लेकर उनसे अपना पल्ला झाड़ लिया है। यह ‘महानुभाव’ अमेरिका में बैठकर भारत में हो रहे चुनावों पर टिप्पणी करके अपनी जगहंसाई करवा रहे हैं।
देश में हो रहे लोकसभा चुनाव में इनको कोई नहीं पूछ रहा। यह बुजुर्ग शख्स न तो चुनाव लड़ सकते हैं और न ही उसमें शामिल हो सकने की इनमें क्षमता है। भाषण देने की तो बात ही बहुत दूर है। लगता है चारों तरफ से घुटे सैम पित्रोदा बुरी तरह से खिजियाए और भन्नाए हुए हैं। इसीलिए अब वह अपनी कुंठा देश और देशवासियों को लेकर निकाल रहे हैं।
अब आइये बात करते हैं इनके लेटेस्ट हास्यास्पद और बचकाने बयानों के बारे में।
पहले तो इन महाशय ने देश के लोगों में विरासत के नाम पर उनकी संपत्ति के बंटवारे का शिगूफा छोड़ा। कहा कि अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स की व्यवस्था है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसकी मृत्यु के बाद उसके बच्चों को केवल 45 फीसदी ही संपत्ति मिलेगी और बाकी बची उसकी 55 फीसदी संपत्ति को सरकार ले लेगी। सैम जी इसको बहुत ही अच्छा मानते हैं। वह इस नीति को कांग्रेस के द्वारा भारत में लागू भी करवाना चाहते हैं।
अब बात करते हैं सैम भइया के दूसरे बेसिर-पैर के बयान की।
सैम बाबू ने देश के चुनावी माहौल में अपना एक बचकाना वीडियो भी ठूंस दिया। इसमें उन्होंने भारत के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले भारतीयों की तुलना विदेशियों से की है। पूर्वी भारत के लोगों को उन्होंने चीनी, दक्षिण वालों को अफ्रीकी, उत्तर भारतीयों को श्वेत और पश्चिम वालों को अरब के लोगों जैसा बताया।
जनसभा में ये विचार रखते पित्रोदा तो पब्लिक बता देती उनकी औकात
सैम भइया अपने इन विचारों को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी जनसभा बुलाकर अपने भाषण के रूप में रखते तो भारत की जनता का उनके प्रति क्या रुख होता, यह भी मौके पर ही तत्काल पता चल जाता। इसको और गहराई से समझने के लिए हमें और आपको अपनी याददाश्त को थोड़ा ताज करना होगा। हमें बाबा रामदेव के दिल्ली के रामलीला मैदान के उन दृश्यों को याद करना पड़ेगा जब वह वेश बदलकर अपनी जान बचाकर रामलीला मैदान से बाहर निकले थे।
जानिए कौन हैं सैम
दोस्तों! आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। उनका जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से पूरी की और उन्होंने वड़ोदरा के महाराजा शिवाजी राव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की। सैम पित्रोदा 1964 में अमेरिका चले गये और उन्होंने वहां पर टेलिकॉम इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई।
राजीव गांधी के चहेते
सैम पित्रोदा को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपना सलाहकार नियुक्त किया था। वह भारतीय ज्ञान आयोग और दूरसंचार आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं ।
नस्लवादी बयान
उनका बयान पूरी तरह से नस्लवादी और बहुत घटिया है। कांग्रेस और शहजादे को इसका जवाब देना होगा। इसीलिए राष्ट्रपति पद पर कांग्रेस ने द्रौपदी मुर्मू का विरोध किया था।




















