नई दिल्ली। वह शुभ दिन,पल,छिन आ गया जिसे देखने, महसूस करने, अलौकिक आनन्द की अनुभूति करने के लिए पांच सदियों से हर रामभक्त, चाहे वो देश का हो या विदेश का व्याकुल था, आतुर था। अयोध्या के भव्य और विराट श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में सबके प्रिय, सबके आराध्य भगवान श्रीराम का बाल विग्रह अपने मनोरम आसन पर विराजमान हो गया है। 140 करोड़ भारतवासियों के साथ विश्वभर में बसे करोड़ों हिंदुओं व रामभक्ताें के लिए जैसे त्रेता युग के बाद एक बार फिर रामराज्य आ गया है। हजारों हिन्दुओं और कारसेवकों का बलिदान अब राम मंदिर के बन जाने के बाद अमिट धरोहर के रूप में स्थापित हो गया।
श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने भगवान के बाल रूप को गर्भगृह के आसन पर आसीन किया। अब 22 जनवरी को श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शेष है जो विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में अपनी छवि अंकित करेगा। अरबों रामभक्त इस क्षण के साक्षी बनने के लिए लालायित हैं जिसका प्रसारण पूरी दुनिया में किया जाएगा।
रामभक्तों की अपेक्षा, आकांक्षा, तपस्या, साधना व प्रण की प्रतीक धर्म ध्वजा भारत के तेजी से विकसित होने और बदलाव के संदेश का भी प्रचार एवं प्रसार पूरी दुनिया में कर रही है। वह दिन दूर नहीं जब अयोध्या, काशी का यह देश दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक-सांस्कृतिक हब बनेगा। भारत ने धार्मिक -सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का नया मॉडल विश्व के सामने प्रस्तुत किया है। इसके चलते भारत के सबसे बड़े टूरिस्ट हब बनने की भी संभावनाएं प्रस्फुटित हो चुकी हैं।
आज देश में ठीक वैसा ही माहौल दिखाई दे रहा है जैसा कभी तब नजर आया था जब रण में रावण व अन्य राक्षसों का वध करके भगवान श्रीराम अयोध्या वापस लौटे थे। कलयुग में भी 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद 9 नवंबर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया और कहा कि जन्मभूमि पर श्रीराम का ही हक है। वहां राम का मंदिर ही बनेगा। विवाद के पूरे प्रकरण को उसके अंजाम तक पहुंचाने और श्रीरामलला का मंदिर निर्माण कराने में पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी और अब देश में उत्सव का माहौल है।