नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य जोरों पर है। 23 अप्रैल को 155 देशों और सातों महाद्वीपों की नदियों और समुद्रों के जल से रामलला का जलाभिषेक किया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामलला का जलाभिषेक करेंगे। साथ ही कई देशों के राजनयिक भी समारोह के गवाह बनेंगे।
155 देशों और सात महाद्वीपों की नदियों और समुद्रों से लाया गया पवित्र जल मणिरामदास की छावनी के सभागार में सुबह 10 बजे भव्य समारोह का आयोजन कर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपा जाएगा। चंपत राय के मुताबिक रामलला के जलाभिषेक के समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे।
कार्यक्रम में और कौन होगा : समारोह में कई देशों के राजदूत भी शिरकत करेंगे। साथ ही योग गुरू बाबा रामदेव, विहिप के दिनेश चंद्र, संघ प्रचारक रामलाल, इंद्रेश कुमार, जैन आचार्य लोकेश मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी यतेंद्रानंद गिरि, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल जोगिंदर जसवंत सिंह, सांसद मनोज तिवारी, सांसद प्रवेश वर्मा व अन्य मौजूद रहेंगे। 20 से अधिक देशों के प्रवासी भारतीय भी मौजूद रहेंगे।
कहां-कहां से और कैसे लाया गया जल : पाकिस्तान की रावी नदी का जल भी जलाभिषेक के लिए इस्तेमाल होने वाले कलश में शामिल किया जाएगा। रावी का जल पहले पाकिस्तान के हिंदुओं ने दुबई भेजा था, फिर दुबई से दिल्ली लाया गया। अब इस जल को अयोध्या लाया जाएगा।
इन देशों का जल : पाकिस्तान के अलावा सूरीनाम, चीन, यूक्रेन, रूस, कजाकिस्तान, कनाडा और तिब्बत सहित कई अन्य देशों की नदियों से जल प्राप्त किया गया है। प्रत्येक देश के पवित्र जल को तांबे के लोटों में भरकर पैक व सील किया गया है। इन पर प्रत्येक देश के नाम व झंडे का स्टीकर चिपका है। इनको भगवा रिबन से सजाया गया है।
जल लाने वाले कौन हैं : पवित्र जल प्रवासी भारतीयों ने अयोध्या राममंदिर जलाभिषेक के लिए भारत भेजा है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली भाजपा नेता और पूर्व विधायक विजय जॉली के दिल्ली स्टडी ग्रुप ने 2020 में जल एकत्रित करने की मुहिम शुरू की थी। जलाभिषेक वाले दिन ये टीम अयोध्या में जल से भरे कलश को सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंपेगी। पूर्व विधायक विजय ने बताया, यहां तक कि युद्ध के दौरान ही रूस और यूक्रेन की नदियों के जल को भी एकत्रित किया गया।
राम मंदिर निर्माण की स्थिति : राममंदिर के भूतल (गर्भगृह) का काम अब अंतिम चरण में पहुंच रहा है। अभी पत्थरों पर मेहराब बनाने का काम चल रहा है। अगले महीने से रामलला के घर की छत ढालने का काम शुरू हो जाएगा। राममंदिर के गर्भगृह का परिक्रमा पथ भी बन चुका है। मेहराब वास्तुकला का एक शानदार काम है जो किसी भी संरचना में लालित्य और सुंदरता जोड़ सकता है। मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर कई स्थानों पर मेहराब बनाने का काम चल रहा है। बीम के भी सभी स्तंभ तैयार हैं। राममंदिर में दो परिक्रमा पथ बनाए जा रहे हैं जिसमें से गर्भगृह का परिक्रमा पथ बन चुका है। गर्भगृह की परिक्रमा केवल पुजारी ही कर पाएंगे
यह कब तक पूरा होगा
चम्पत राय का कहना है कि निर्धारित टाइमलाइन के अनुसार कार्य संतोषजनक तरीके से आगे बढ़ रहा है। दिसंबर 2023 तक भूतल बनकर तैयार हो जाएगा। जब प्राण प्रतिष्ठा करनी होगी, उससे एक महीने, 15 दिन पहले तारीख घोषित कर दी जाएगी। पहले से तारीख घोषित करना ठीक नहीं है। एक सवाल के जवाब में चंपत राय ने कहा कि काशी कॉरिडोर का उद्घाटन दिसंबर में हुआ था। मैंने काशी के विद्वानों से राय ली है। हम दिसंबर में भी प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं। मकर संक्रांति के आसपास की तिथि भी प्राण प्रतिष्ठा के लिए देखी जा रही है। विद्वान व संत-धर्माचार्य जो मत देंगे, उसी के तहत योजना बनेगी।