सिंधु झा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे पर भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स की डील होगी। राफेल मरीन एक मल्टीरोल फाइटर जेट है। 22 फाइटर जेट्स को विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा।
दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है। चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तीन तरह के मल्टीरोल फाइटर जेट तैनात हैं।
पहला जे-10, दूसरा जे-15 और तीसरा सुखोई-30 तीनों से राफेल की तुलना समझिए। जे-10 जेट 55.5 फीट लंबा, जे-15 जेट 73.1 फीट और सुखोई-30 जेट 72 फीट लंबा है जबकि रफेल-एम 50.1 फीट लंबा है। यानी आकार में सबसे छोटा है।
चीन के जे-10 फाइटर जेट को एक पायलट, जे-15 को 1 या 2 और सुखोई-30 को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं। राफेल को 1 या 2 पायलट उड़ाते हैं। जे-10 का कुल वजन 14 हजार केजी , जे-15 का 27 हजार केजी और सुखोई-30 का 24,900 किलोग्राम है जबकि राफेल सिर्फ 15 हजार किलोग्राम वजनी है। चीन के जे-10 में 8950 लीटर की ईंन्धन क्षमता है।
जे-15 की 9500 लीटर और सुखोई-30 फाइटर जेट की 9400 लीटर ईंन्धन क्षमता है। राफेल-एम की ईंधन क्षमता करीब 11,202 किलोग्राम है यानी यह फाइटर जेट से ज्यादा देर उड़ान भर सकता है। जे-10 की कॉम्बैट रेंज 1240 किलोमीटर, जे-15 की फेरी रेंज 3500 किलोमीटर और सुखोई-30 की फेरी रेंज 3000 किलोमीटर है जबकि राफेल-एम की कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है। इसकी फेरी रेंज 3700 किलोमीटर है। यानी सबसे बेहतर माना जा रहा है।
राफेल-एम में 30 मिलीमीटर की ऑटोकैनन गन लगी है। इसके अलावा मरीन में 14 हार्डप्वाइंट्स हैं। इसमें तीन तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली सात तरह की मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या फिर इनका मिश्रण लगा सकते हैं।