ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 85 साल के इतिहास में पहली बार कुल 2,600 रसोइयों और जलवाहकों को पदोन्नत किया गया है। ये सभी कॉन्स्टेबल सीआरपीएफ की सबसे निचली श्रेणी के पद हैं और इसकी रीढ़ माने जाते हैं।
एक आदेश के जरिये बुधवार को 1,700 रसोइयों और 900 जलवाहक कर्मियों को कॉन्स्टेबल पद से हेड कॉन्स्टेबल के पद पर पदोन्नति दी गई। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक ब्रिटिश काल में 1939 में गठित सीआरपीएफ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। बल के गठन के बाद से ही इस श्रेणी के कर्मचारी उसका हिस्सा रहे हैं। यह कदम सीआरपीएफ के तैयार किए गए और बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अनुमोदित एक प्रस्ताव के परिणामस्वरूप उठाया गया है। यह प्रस्ताव इन कर्मचारियों को उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए उनकी अन्य कैडर कर्मियों की तरह पदोन्नति सुनिश्चित करने के लिए लाया गया।
– पहले कॉन्स्टेबल इसी पद से होते थे सेवानिवृत्त
1983-2004 के बीच की भर्ती
पदोन्नत किए गए 2,600 कर्मियों की भर्ती 1983-2004 के बीच की गई थी। इनमें से बाकी कर्मियों को भी नियत समय में पदोन्नत किया जाएगा। 2016 में जब केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की थीं, तब उन्हें रसोइया और जलवाहक का विशिष्ट कैडर नाम दिया गया था।
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के एक अधिकारी का कहना था कि पदानुक्रम के सबसे निचले पायदान पर भर्ती किए गए इन कर्मियों को कभी पदोन्नत नहीं किया जा सका और औसतन 30-35 साल की सेवा के बाद भी उन्हें उसी रैंक पर सेवानिवृत्त होना पड़ा, जिस पर उन्हें भर्ती किया गया था।